सुनील सांगवान : जिसके कार्यकाल में राम रहीम को 6 बार मिला पैरोल, उसी को बीजेपी ने बनाया उम्मीदवार
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पूर्व जेल अधीक्षक सुनील सांगवान को चरखी दादरी से टिकट दिया है। सुनील सांगवान हाल ही में सुर्खियों में आए हैं क्योंकि उनके कार्यकाल के दौरान गुरमीत राम रहीम को 6 बार पैरोल या फरलो मिली थी।
गुरमीत राम रहीम, जो कि बलात्कार और हत्या के दोषी हैं, रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहे हैं।
सुनील सांगवान ने जेल अधीक्षक पद से वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लेने के बाद हाल ही में बीजेपी में शामिल होकर चरखी दादरी से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। वीआरएस से पहले वे गुरुग्राम की भोंडसी जेल में जेल अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे और इससे पहले रोहतक जेल में पांच साल तक अधीक्षक के तौर पर अपनी सेवाएं दी थीं।
साल 2017 में जब गुरमीत राम रहीम को बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया और रोहतक के सुनारिया जेल में भेजा गया, तब सुनील सांगवान वहां के जेल अधीक्षक थे। इसके बाद उनका ट्रांसफर गुरुग्राम की भोंडसी जेल में कर दिया गया था।
सुनील सांगवान को बीजेपी में शामिल करने की प्रक्रिया इतनी तेजी से हुई कि हरियाणा सरकार ने 1 सितंबर को ही उनके वीआरएस आवेदन को मंजूरी दी। जेल महानिदेशक (डीजी) ने 1 सितंबर को सभी जेल अधीक्षकों को ‘नो ड्यूज’ प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया ताकि सुनील सांगवान की वीआरएस प्रक्रिया पूरी हो सके।
गुरमीत राम रहीम को कुल 10 बार पैरोल या फरलो पर जेल से बाहर भेजा जा चुका है, जिनमें से 6 बार ऐसा सुनील सांगवान के कार्यकाल के दौरान हुआ। सुनील सांगवान का कहना है कि इन मामलों में अंतिम निर्णय डिविजनल कमिश्नर द्वारा किया गया था और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान तीन बार राम रहीम की पैरोल की मांग को अस्वीकार भी किया था।
सुनील सांगवान का कहना है कि उन्होंने गुरमीत राम रहीम की तीन इमरजेंसी पैरोल की मांगों को खारिज कर दिया था। उन्होंने बताया कि रूटीन पैरोल डिविजनल कमिश्नर द्वारा मंजूर की जाती है और राम रहीम को कानूनी प्रक्रिया के तहत पैरोल मिलती थी।
बीजेपी से टिकट मिलने के बाद सुनील सांगवान की सोशल मीडिया पर आलोचना हो रही है, जहां यूजर्स उनके और राम रहीम के बीच संबंधों को लेकर सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेता ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह किसी के लिए चौंकाने वाला नहीं होना चाहिए।