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सेवानिवृत्त शिक्षकों के लिए हमेशा खुले हैं विद्यालयों के द्वार : ऋचा सिंह

संकुल बल्ला की तरफ से शिक्षक का हुआ सम्मान और उन्नयन गोष्ठी का आयोजन, शिक्षक खुद को जलाकर फैलाता है ज्ञान की रोशनी: वीरेंद्र सिंह

रायबरेली। एक शिक्षक अपने कार्य से कभी भी सेवानिवृत्त नहीं होता है। बस उसका माध्यम बदल जाता है। शिक्षक अपने को तपाकर पूरे जीवन ज्ञान की रोशनी फैलाता रहता है। ब्लॉक से सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों के लिए हमेशा ही विद्यालयों के दरवाजे खुले हैं। वे विद्यालय में जाकर अपनी मर्जी के हिसाब से पढा सकते हैं और कुछ अपने अनुभव शिक्षकों को दे सकते हैं। उक्त विचार खण्ड शिक्षा अधिकारी अमावां ऋचा सिंह ने संकुल बल्ला में आयोजित सम्मान समारोह के दौरान कहीं।

अमावां ब्लॉक के कम्पोजिट विद्यालय बावन बुजुर्ग बल्ला में 31 मार्च को सेवानिवृत्त होने जा रहे शिक्षकों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। शिक्षक सम्मान समारोह एवं शिक्षा उन्नयन गोष्ठी के मुख्य अतिथि खण्ड शिक्षा अधिकारी ऋचा सिंह रहीं। शिक्षक सम्मान समारोह के दौरान सेवानिवृत्त होने जा रही बावन बुजुर्ग बल्ला की प्रधानाध्यापक धर्म कुमारी का सम्मान अंगवस्त्र, भारत का संविधान देते हुए फूल माला पहनाकर अतिथियों और शिक्षकों ने किया। बता दें धर्म कुमारी 1991 में परिषदीय सेवा में आई थी।

बीईओ ऋचा सिंह ने कहा कि शिक्षक वह मोमबत्ती होते हैं, जो खुद जलकर दूसरों को प्रकाश देने का कार्य करते हैं। शिक्षा और शिक्षक एक दुसरे के पूरक होते है। उन्होंने कहा कि वे शिक्षा की रोशनी के पूरे समाज को रोशन करते रहते हैं। काम से ही व्यक्ति की पहचान होती है।

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष ने कहा कि हम जिस दिन से सेवा में आ जाते हैं, उस दिन से सेवानिवृत्त की तिथि तय हो जाती है लेकिन हमारे साथियों का काम समाज शिक्षा की अलख जगाना है जो कि सदैव जारी रहता है। कार्यक्रम में ब्लॉक अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ शशिप्रकाश श्रीवास्तव, एमआरपी रितेश कुमार और जूनियर शिक्षक संघ के महामंत्री सूर्य प्रकाश, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि पंकज गुप्ता ने शिक्षकों के संबोधन में कहा कि आपकी इस यात्रा के दौरान हजारों बच्चों का भविष्य बना है। आपकी आगे की यात्रा बेहतर रहे।

इस मौके पर उनसिया अजगर, शैल कुमारी, राम प्रकाश अवस्थी, बबिता, इशरत जहां, मीना, वंदना, रामभरत राजभर, ऊषा, कमल अहिरवार, हेमलता, अर्चना बौद्ध, डॉ0 मनोज, राजेन्द्र सिंह, सुधीर कुमार, कृष्णाशंकर यादव, धर्मेन्द्र सिंह चौहान, अवनीश कुमार, मधु, हनी गुलाटी, आयशा अफरोज, माया, सत्यभामा, धर्मेन्द्र तिवारी, संदीप वर्मा, दुर्गेश, वरुणेंद्र सिंह आदि शिक्षक मौजूद रहे।

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