Religion

हनुमान जयंती विशेष: हनुमान जी से ये पांच बाते हमें जरूर सीखनी चाहिए

हनुमान जयंती पर ये 5 चीजें चढ़ाएं, मनचाहा फल पाएं (What to Offer to Lord Hanuman on Hanuman Jayanti?)

हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2025) हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा के दिन बड़े श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाई जाती है। यह पर्व भगवान श्रीराम के परम भक्त और शक्तिशाली वीर हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

हिंदू धर्म में हनुमान जी को शक्ति, भक्ति, साहस, विनम्रता और सेवा का प्रतीक माना जाता है। उनका जन्म अंजनी माता की कोख से हुआ था, इसलिए उन्हें अंजनेय भी कहा जाता है। इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं, मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना होती है और श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है।

हनुमान जी का जीवन: आदर्श और प्रेरणा

हनुमान जी का जीवन अनेक अद्भुत गुणों से भरा हुआ है। वे बाल्यकाल से ही अत्यंत शक्तिशाली, बुद्धिमान और तेजस्वी थे। उन्होंने श्रीराम की सेवा में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

जब माता सीता लंका में थी, तब उन्हें खोजकर श्रीराम तक संदेश पहुंचाने का कार्य हनुमान जी ने ही किया। उन्होंने सीता माता की खोज में समुद्र लांघा, अशोक वाटिका में लंका दहन किया और राम-रावण युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई।

हनुमान जयंती पर हम सबको हनुमान जी से क्या सीखना चाहिए?

हनुमान जी केवल पूजनीय देवता ही नहीं, बल्कि ऐसे आदर्श व्यक्तित्व हैं जिनसे आज भी हर व्यक्ति को प्रेरणा लेनी चाहिए। उनके जीवन से हमें कई महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलती हैं:

  1. भक्ति और समर्पण (Devotion and Surrender):
    हनुमान जी की श्रीराम के प्रति अटूट भक्ति और समर्पण हमें सिखाता है कि अगर हम अपने उद्देश्य के प्रति पूरी श्रद्धा और लगन से काम करें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

  2. निस्वार्थ सेवा (Selfless Service):
    उन्होंने कभी भी अपने लिए कुछ नहीं चाहा, उनका जीवन केवल दूसरों की सेवा के लिए था। आज के समय में भी यदि हम अपने परिवार, समाज और देश की सेवा के लिए कुछ करें, तो समाज में बड़ा बदलाव आ सकता है।

  3. विनम्रता और आज्ञाकारिता (Humility and Obedience):
    इतनी शक्ति और ज्ञान होने के बावजूद हनुमान जी सदैव विनम्र रहे। वे अपने गुरु और प्रभु की आज्ञा का पालन करते थे। यह हमें सिखाता है कि जितना बड़ा व्यक्ति हो, उसे उतना ही नम्र और आज्ञाकारी होना चाहिए।

  4. साहस और आत्मविश्वास (Courage and Confidence):
    हनुमान जी ने समुद्र पार किया, पर्वत उठा लिए, राक्षसों से युद्ध किया – ये सब उनके आत्मविश्वास और साहस की मिसाल हैं। हमें भी कठिन परिस्थितियों में डरने की बजाय उनका सामना करना चाहिए।

  5. ज्ञान और विवेक (Wisdom and Discretion):
    हनुमान जी केवल बलशाली नहीं थे, वे अत्यंत बुद्धिमान भी थे। उन्होंने जहां जरूरत थी वहां बल प्रयोग किया और जहां बुद्धिमानी चाहिए थी, वहां विवेक से काम लिया। यह संतुलन हमारे जीवन में भी बहुत जरूरी है।

हनुमान जयंती का महत्व आज के समय में

आज जब लोग तनाव, निराशा और अनिश्चितताओं से जूझ रहे हैं, तब हनुमान जी का चरित्र एक मार्गदर्शक की तरह काम कर सकता है। उनके गुणों को अपनाकर हम अपने जीवन को अधिक सार्थक, उद्देश्यपूर्ण और शांतिपूर्ण बना सकते हैं। इस पावन अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम भी अपने जीवन में भक्ति, सेवा, साहस और विनम्रता को स्थान देंगे।

हनुमान जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, यह आत्ममंथन और आत्मविकास का अवसर भी है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि अगर हमारे अंदर भक्ति, विश्वास, साहस और सेवा का भाव हो, तो हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं। हनुमान जी का जीवन एक आदर्श मार्गदर्शक है, जिसे अपनाकर हम भी अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।

Hanuman
हनुमान जी, Source: Chatgpt

हनुमान जयंती पर हनुमान जी को क्या चढ़ाएं?

हनुमान जयंती का पर्व हनुमान भक्तों के लिए एक अत्यंत शुभ अवसर होता है। इस दिन लोग उपवास रखते हैं, हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और बजरंगबली को भोग अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी की पूजा सच्चे मन से की जाए तो जीवन की सारी बाधाएं दूर होती हैं।

यहाँ हम आपको बता रहे हैं कि हनुमान जयंती पर हनुमान जी को कौन-कौन सी चीजें चढ़ाई जा सकती हैं, जो उन्हें विशेष रूप से प्रिय हैं।

1. लाल फूल

हनुमान जी को लाल रंग अत्यंत प्रिय है। इसलिए उन्हें लाल गुलाब, लाल गुड़हल (हिबिस्कस), या अन्य लाल फूल अर्पित करें। यह उनकी कृपा पाने का एक सरल और प्रभावी तरीका है।

2. तुलसी की माला और राम नाम

हनुमान जी को श्रीराम के परम भक्त के रूप में जाना जाता है। आप तुलसी के पत्तों से बनी माला में ‘राम-राम’ लिखकर उन्हें अर्पित करें। इससे उनका आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है।

3. सिंदूर और चमेली का तेल

हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल विशेष रूप से पसंद है। भक्तजन हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर और तेल का चोला चढ़ाते हैं। ऐसा करने से भय, रोग और शत्रुओं से रक्षा होती है।

4. बूंदी और बेसन के लड्डू

हनुमान जी को मीठा विशेष रूप से पसंद है। बूंदी, बेसन के लड्डू, या रोट लड्डू (गुड़ व घी से बना मीठा व्यंजन) चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह प्रसाद बाद में भक्तों में भी बांटा जाता है।

5. पान का बीड़ा (लौंग सहित)

लौंग वाला पान का बीड़ा हनुमान जी को बहुत प्रिय है। इसे अर्पित करने से वाणी में प्रभाव आता है और मानसिक दृढ़ता प्राप्त होती है। पूजा के अंत में पान चढ़ाकर प्रसन्नता प्रकट की जाती है।

6. गुड़ और चना

हनुमान जी को गुड़ और भुना हुआ चना चढ़ाना भी बहुत शुभ माना जाता है। यह उन्हें अर्पित करने से जीवन की संकटें दूर होती हैं और स्वास्थ्य लाभ होता है। विशेषकर मंगलवार और शनिवार को यह भोग ज़रूर चढ़ाना चाहिए।

विशेष ध्यान देने योग्य बातें:

  • पूजा करते समय हनुमान चालीसा, बजरंग बाण या सुंदरकांड का पाठ करें।

  • हनुमान जी को ब्रह्मचारी माना जाता है, इसलिए उन्हें तामसिक भोजन या तुलसी रहित प्रसाद न चढ़ाएं।

  • पूजा के बाद प्रसाद को बांटें और खुद भी ग्रहण करें।

हनुमान जयंती पर भक्त भावपूर्वक यदि हनुमान जी को ये प्रिय चीजें चढ़ाएं, तो निश्चित ही उनके जीवन में सुख, शांति और शक्ति का संचार होता है। बजरंगबली अपने भक्तों की हर संकट से रक्षा करते हैं और उन्हें बल, बुद्धि व विजय का आशीर्वाद देते हैं।

हनुमान चालीसा

दोहा:
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार॥

चौपाई:

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥

संकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बंदन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचंद्र के काज सँवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपै॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥

अंतकाल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥

जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥


दोहा:
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button