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आईएमए लखनऊ में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 मनाया गया, विशेषज्ञों ने स्वस्थ जीवन के लिए योग को बताया आवश्यक

LUCKNOW: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA), लखनऊ द्वारा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) का आयोजन उत्साहपूर्वक किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि IMA लखनऊ के सचिव डॉ. संजय सक्‍सेना रहे। योग दिवस के अवसर पर आईएमए भवन में प्रातः 7 बजे से योगाभ्यास सत्र का आयोजन हुआ, संजय सक्‍सेना व डॉ. संतोष कुमार सिंह द्वारा योग कराया गया और योग के बारे में विस्‍तृत जानकारी दी।

देश में बढ़ रहे गैर संचारी रोग

डॉ. गुरमीत सिंह ने बताया कि देश में गैर संचारी रोग (Non Communicable diseases) डायबिटीज, हाइपरटेंशन, थायरॉयड, स्ट्रेस, कैंसर और ऑर्थोपेडिक समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिनका प्रमुख कारण अनियमित जीवनशैली, मानसिक तनाव और फास्ट फूड का अधिक सेवन है। इन बीमारियो के लिए एलोपैथ में जीवन भर उपचार लेना पड़ता है और कई बार प्रभावी इलाज भी उपलब्‍ध नहीं है।

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रोगों से बचाता है योग

डॉ. जेडी रावत ने बताया कि यह समय की मांग है कि लोग जीवन शैली में बदलाव लाएं और योग भी करें। योग न केवल मानसिक शांति और शारीरिक लचीलापन प्रदान करता है, बल्कि यह जीवनशैली रोगों की रोकथाम में भी सहायक है।

IMA लखनऊ की डॉ. रीतू सक्‍सेना ने बताया कि योग दिवस का यह आयोजन हर वर्ष किया जाता है ताकि चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग स्वयं भी स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और समाज को इसके लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि आज अधिकतर लोग एलोपैथिक इलाज पर निर्भर रहते हैं, लेकिन जीवनशैली में बदलाव और नियमित योगाभ्यास कई बार इससे अधिक प्रभावशाली सिद्ध होता है।

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IMA के सचिव डॉ. संजय सक्‍सेना ने योग को प्राचीन भारतीय परंपरा और वैज्ञानिक पद्धति बताते हुए इसके तीन मुख्य अंगों—आसन, प्राणायाम और ध्यान—की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि योग करने से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है, श्वसन तंत्र सशक्त बनता है, ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है, थकान और तनाव कम होते हैं और व्यक्ति को ताजगी एवं स्फूर्ति का अनुभव होता है।

इस अवसर पर डॉ. रीतू सक्‍सेना, डॉ. एके शाक्‍य, डॉ. अमन प्रिया सिह MSN संयोजक और MSN स्‍टूडेंट सहित ड़ी संख्या में युवाओं और चिकित्सकों ने योगाभ्यास में भाग लिया।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. संजय सक्‍सेना ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “योग को केवल दिवस तक सीमित न रखें, बल्कि इसे रोज़मर्रा की जीवनशैली में शामिल करें ताकि हम एक स्वस्थ और रोगमुक्त समाज की दिशा में आगे बढ़ सकें।”

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