
Lucknow: पूर्वांचल (PuVVNL) और दक्षिणांचल (DVVNL) ऊर्जा निगम के निजीकरण (Privatization) को लेकर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से मुलाकात की। निजीकरण पर विद्युत नियामक आयोग (UPERC) द्वारा गंभीर वित्तीय अनियमितता उजागर किए जाने की बात कहते हुए वर्मा ने प्रक्रिया की सीबीआई (CBI) जांच की मांग की।
अवधेश वर्मा ने डिप्टी सीएम को बताया कि केंद्र सरकार ने प्रदेश को आरडीएसएस योजना में लगभग 44,094 करोड़ रुपये दिए। इसमें से दक्षिणांचल के हिस्से 7,434 करोड़ और पूर्वांचल के हिस्से में लगभग 9,481 करोड़ रुपये आए। दोनों डिस्कॉम में करीब 16915 करोड़ रुपये खर्च करके सुधार कार्य कराए गए। उसके परिणाम भी देखने को मिले। इसके बावजूद भी पावर कारपोरेशन (UPPCL) ने दोनों कम्पनियों के निजीकरण का प्रस्ताव पेश कर दिया। ऐसा किया जाना सरकारी धन का दुरुपयोग है।
वर्मा ने आरोप लगाया कि निजीकरण का यह फैसला देश के बड़े निजी घरानो को लाभ देने वाला है। वर्मा ने डिप्टी सीएम को एक ज्ञापन सौंपते हुए मामले की सीबीआई जांच उत्तर प्रदेश सरकार से करने की मांग उठाई। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा सरकार की छवि धूमिल करने के लिए कुछ उच्चाधिकारी निजीकरण को बढ़ावा देकर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने का काम कर रहे हैं। वर्मा ने कहा कि इन अफसरों का पर्दाफाश करने के लिए वह मुख्यमंत्री से भी मुलाकात कर उन्हें मामले की हकीकत बताएंगे।
वित्तीय अनियमितताओं को कर रहे नजरअंदाज
अवधेश वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा ऊर्जा विभाग के प्रस्ताव पर उजागर की गई गंभीर वित्तीय अनियमित को नजरअंदाज किया जा रहा है। दोनों बिजली कम्पनियों की इक्विटी लगभग 6,900 करोड़ रुपये मानकर नई बनने वाली पांच बिजली कंपनियों को कम लागत पर बेचने की कोशिश हो रही है।
आरोप लगाया कि गलत बैलेंस शीट बनाकर निजी घरानों को फायदा देने के साथ ही ग्रांट थ्रोनटन कंपनी पर 40,000 डॉलर के अमेरिकी जुर्माने की बात को भी अनदेखा किया जा रहा है। सरकारी धन को खर्च करके बिजली कंपनियों को सुधार की दिशा में आगे बढ़ा कर उसे निजी घरानों को देने का यह मामला बहुत ही गंभीर है। इसकी जांच की जानी जरूरी है। वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन उद्योगपतियों के दबाव में काम कर रहा है जिसकी कीमत आम जनता को चुकानी पड़ेगी।