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खरीफ में मुस्कुराएंगे मोटे अनाज भी, किसानों को मिल रहे 2.47 लाख मिनीकिट

Lucknow: धान, दलहन और तिलहन की तरह अब मोटे अनाज (मिलेट्स) भी खरीफ की फसल में मजबूती से वापसी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत किसानों को इस बार 4.58 लाख मिनीकिट निशुल्क बांटे जा रहे हैं, जिनमें से 2.47 लाख किट सिर्फ मोटे अनाजों के हैं। इसमें सांवा, कोदो, ज्वार, बाजरा और रागी जैसे पोषक अनाज शामिल हैं। इनका वितरण न केवल बीज आपूर्ति की दृष्टि से अहम है, बल्कि मिलेट्स के प्रति किसानों की रुचि बढ़ाने की एक रणनीतिक पहल भी है।

मोटे अनाज: पोषण का पावर हाउस

मोटे अनाजों को दुनिया के सबसे पुराने अनाजों में गिना जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर घाघ की कृषि सूक्तियों तक, इन अनाजों की उपयोगिता के स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं। घाघ के एक दोहे में बाजरे की ताकत को कुछ यूं वर्णित किया गया है:
“उठ के बाजरा यूं हंसी बोले, खाये बूढ़ा जुवा हो जाय।”

वहीं मडुआ और कोदो के स्वाद व पोषण को लेकर वे लिखते हैं:
“मडुआ मीन, पीन संग दही, कोदो का भात दूध संग दही।”

कभी थाली के केंद्र में थे मोटे अनाज

1962 में भारत में प्रति व्यक्ति मिलेट्स की सालाना खपत करीब 33 किलोग्राम थी, जो 2010 में घटकर मात्र 4 किलोग्राम रह गई। हरित क्रांति के बाद गेहूं-धान पर केंद्रित नीति के चलते इन ‘कुअन्नों’ को हाशिए पर धकेल दिया गया। जबकि हकीकत यह है कि ये अनाज कम पानी में भी उगते हैं, रोग प्रतिरोधक होते हैं और पोषण से भरपूर हैं। इनमें भरपूर फाइबर, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और जटिल कार्बोहाइड्रेट होते हैं।

भारत बना वैश्विक मिलेट्स अभियान का अगुवा

भारत वैश्विक मिलेट्स उत्पादन में 20% और एशियाई उत्पादन में 80% योगदान देता है। बाजरा और ज्वार जैसी फसलों में भारत शीर्ष पर है। भारत की पहल पर ही 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया था। इससे पहले 2018 में भारत ने राष्ट्रीय मिलेट वर्ष मनाया था।

‘मिलेट क्रांति’ की ओर बढ़ता भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘मन की बात’ में मिलेट्स को लेकर किए गए उल्लेख ने इस अभियान को नया आयाम दिया। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इसे खेती के साथ-साथ पोषण और स्टार्टअप्स से भी जोड़ रही हैं। हैदराबाद स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च (IIMR) ने न्यूट्री-हब टेक्नोलॉजी इनक्यूबेटर के ज़रिए 500 से अधिक मिलेट आधारित रेडी-टू-ईट व रेडी-टू-कुक रेसिपी तैयार की हैं। साथ ही मोटे अनाजों की 150 से अधिक उन्नत प्रजातियों को विकसित किया गया है, जिनमें से कई बायोफोर्टिफाइड हैं।

बीज के दम पर होगी हर खेत में श्रीअन्न की पैदावार

बीज उत्पादन कृषि का आधार स्तंभ है, जिसकी फसल उत्पादन में 25% भूमिका मानी जाती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार प्रदेश की सभी 9 कृषि-जलवायु क्षेत्रों के अनुसार गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पांच बीज पार्क स्थापित कर रही है। इनमें से एक बीज पार्क लखनऊ के रहमान खेड़ा में तैयार हो रहा है, जो पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नाम पर समर्पित होगा।

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