
“डोनर मिल्क से नवजातों की जान बचाना संभव”
Lucknow: प्रदेश में 26 फीसदी नवजात मौतें (Neonatal Deaths) जन्म के 24 घंटे के भीतर हो जाती हैं। इन मौतों का प्रमुख कारण समय से पहले जन्म और कम वजन है। ऐसे में माताओं का दूध, विशेष रूप से डोनर ह्यूमन मिल्क (Donor Human Milk), इन नन्हें जीवनों के लिए रक्षा कवच बन सकता है।
केजीएमयू (KGMU) के मिल्क बैंक की नोडल और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ प्रो. शालिनी त्रिपाठी (Shalini Tripathi) का कहना है कि समय से पूर्व जन्मे, गंभीर बीमारियों से पीड़ित या कम वजन वाले नवजातों के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। जब जैविक मां किसी कारणवश स्तनपान (Feeding) नहीं करा पातीं, तो ऐसे बच्चों के लिए डोनर ह्यूमन मिल्क जीवनरक्षक हो सकता है। इसी उद्देश्य से साल 2019 में केजीएमयू में प्रदेश का पहला सेंट्रल लेक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर (CLMC) स्थापित किया गया, जिसे आम भाषा में मिल्क बैंक कहा जाता है। यहाँ माताओं को स्तनपान पर परामर्श देने के साथ-साथ दान किए गए दूध का संग्रह, परीक्षण, सुरक्षित संरक्षण और ज़रूरतमंद नवजातों तक वितरण किया जाता है।
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इस पहल का मुख्य उद्देश्य नवजात मृत्यु दर में कमी लाना और संक्रमण से बचाव करना है। डॉ शालिनी कहती हैं कि कुछ महिलाओं में प्राकृतिक रूप से दूध अधिक बनता है, जिसे वे मजबूरी में फेंक देती हैं। यदि इस दूध को सुरक्षित तरीके से दान किया जाए, तो कई नवजातों की ज़िंदगियां बचाई जा सकती हैं।
दूध दान के नियम
•दूध तभी लिया जाता है जब मां अपने बच्चे को स्तनपान करा चुकी हो और लिखित सहमति दे
•किसी भी प्रकार का आर्थिक प्रोत्साहन नहीं दिया जाता
•यह दूध सिर्फ अस्पताल के एनआईसीयू व एसएनसीयू में भर्ती नवजातों के लिए उपयोग होता है, किसी व्यावसायिक उपयोग के लिए नहीं
दूध दान नहीं कर सकतीं वे महिलाएं:
•जो तंबाकू, गुटका आदि का सेवन करती हों
•जिन्हें हाल ही में रक्त चढ़ाया गया हो
•जो कैंसर-निरोधक दवाएं ले रही हों
•जिन्हें एचआईवी, टीबी, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां हों
•जिनके शरीर पर हाल ही में टैटू बना हो
किन नवजातों को मिलता है डोनर ह्यूमन मिल्क?
•1500 ग्राम से कम वजन वाले बच्चे
•अनाथ शिशु
•वे नवजात जिनकी मां स्तनपान कराने में असमर्थ हैं या गंभीर रूप से बीमार हैं