Lucknow: स्मार्ट प्रीपेड मीटर को प्रदेश की बिजली कंपनियों ने हर नए कनेक्शन पर अनिवार्य कर दिया है। ऐसा करने से नए बिजली कनेक्शन की दर 5 से 6 गुना तक बढ़ गई है। एक किलोवाट का जो कनेक्शन उपभोक्ताओं को 1032 रुपये में मिल जाता था वह स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ 6176 रुपये में मिलने लगा है। खास बात यह है कि प्रबंधन ने आदेश बिना नियामक आयोग के अनुमोदन के कर दिया है।
पावर कॉरपोरेशन व बिजली कंपनियां नियामक आयोग के अधिकारों पर सवाल खड़े करने लगी हैं। बीते कुछ समय में कारपोरेशन ने कई ऐसे आदेश जारी किए जिसमें आयोग की अनुमति नहीं ली गई। कास्ट डाटा बुक और विद्युत सप्लाई कोड का उल्लंघन भी किया गया। केन्द्र सरकार ने जस मीटर को निशुल्क लगाए जाने का आदेश किया था उसके लिए भी कारपोरेशन पैसा वसूल रहा है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने एक कलकुलेशन सीट आयोग के सामने पेश की जिसमें बताया कि वह स्मार्ट प्रीपेड मीटर जो आरडीएसएस योजना में खरीदे गए हैं उन्हें फ्री ऑफ कॉस्ट उपभोक्ता के परिसर पर लगाना है। नियामक आयोग ने भारत सरकार के इस आदेश को मान्य किया है। इसके बावजूद पावर कारपोरेशन मनमर्जी के आदेश जारी कर जनता का उत्पीडऩ कर रहा है।
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प्रीपेड मोड में कनेक्शन करने से खर्च बढ़ा
वर्तमान में नए बिजली कनेक्शन को स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ प्रीपेड मोड में चलाने से ही कनेक्शन की दर में बढ़ोतरी हुई है। अब नए कनेक्शन के लिए विभाग को 6016 रुपये प्राप्त होंगे। यह दर विद्युत नियामक आयोग ने मान्य नहीं की है इसके बावजूद प्रदेश में इसे अनिवार्य रूप से लागू कर दिया गया है।
आदेश के बाद कितनी बढ़ीं दरें
विद्युत भार पूर्व की दरें वर्तमान गलत दर
1 किलोवाट बीपीएल 1032 रुपये 6176 रुपये
1 किलोवाट ग्रामीण 1172 रुपये 6216 रुपये
1 किलोवाट शहरी 1620 रुपये 6464 रुपये
2 किलोवाट ग्रामीण 1323 रुपये 6266 रुपये
2 किलोवाट शहरी 1970 रुपये 6514 रुपये
5 किलोवाट 7057 रुपये 13477 रुपये
उपभोक्ता परिषद ने दायर की याचिका
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि नियामक आयोग से अनुमोदन लिए बगैर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को नए कनेक्शन के लिए अनिवार्य किया जाना असंवैधानिक है। इसके लिए मंगलवार को उन्होंने आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार से मुलाकात की। वर्मा ने पावर कारपोरेशन के आदेश के खिलाफ एक अवमानना याचिका दायर की है। वर्मा ने कहा कि कास्ट डाटा बुक व सप्लाई कोड- 2005 का उल्लंघन किया गया, जिसमें संशोधन की कमेटी में उपभोक्ता परिषद भी सदस्य है। उन्होंने मांग की कि अवमानना के मामले में कारपोरेशन प्रबंधन के खिलाफ तुरंत कार्रवाई शुरू की जाए। उन्होंने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5)के तहत उपभोक्ताओं के लिए पोस्टपेड व प्रीपेड मीटर का विकल्प मिलना चाहिए।