
MUMBAI: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने गूगल क्लाउड के साथ मिलकर भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को नई दिशा देने की बड़ी घोषणा की है। चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा कि यह साझेदारी भारत को एआई की दुनिया में “वर्ल्ड लीडर” बनाने की नींव रखेगी।
जामनगर बनेगा एआई हब
गुजरात के जामनगर में दोनों कंपनियाँ मिलकर एआई-केंद्रित क्लाउड रीजन बनाएंगी। यह प्रोजेक्ट पूरी तरह ग्रीन एनर्जी से चलेगा और मुंबई व दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों से हाई-कैपेसिटी जियो फाइबर नेटवर्क के जरिए जुड़ा रहेगा।
यह भी पढ़ें: अगले साल पहली छमाही में आएगा जियो का आईपीओ- मुकेश अंबानी
रिलायंस की भूमिका क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर का डिज़ाइन, निर्माण और संचालन करना होगा जबकि गूगल क्लाउड की भूमिका एआई हाइपरकंप्यूटर, जनरेटिव एआई मॉडल और डेवलपमेंट प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध कराने की रहेगी।
यह एआई-केंद्रित क्लाउड रीजन जियो के डिजिटल नेटवर्क को और मज़बूत करेगा। साथ ही यह प्रोजेक्ट रिलायंस रिटेल और अन्य बिज़नेस वर्टिकल्स को तेज़, सुरक्षित और अधिक विश्वसनीय बनाएगा।
मुकेश अंबानी ने कहा:
“गूगल क्लाउड के साथ यह साझेदारी भारत की टेक्नोलॉजी यात्रा में एक नया अध्याय है। जिस तरह जियो और गूगल ने इंटरनेट का लोकतंत्रीकरण किया, उसी तरह अब हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का लोकतंत्रीकरण करेंगे।”
गूगल और अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा:
“हम पिछले एक दशक से भारत के डिजिटल भविष्य में निवेश कर रहे हैं। रिलायंस के साथ यह नया कदम एआई के साथ अगली छलांग है। हम मिलकर भारत के एआई भविष्य का निर्माण करने के लिए तैयार हैं।”
क्यों अहम है यह साझेदारी
भारत में एआई रिसर्च और डेवलपमेंट को गति मिलेगी
डिजिटल नेटवर्क और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और मज़बूत होगा
रिटेल, हेल्थकेयर और टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों में एआई आधारित सॉल्यूशंस तेज़ी से आएंगे
एआई की दौड़ में भारत कहाँ?
दुनिया भर में एआई रिसर्च और डिप्लॉयमेंट की दौड़ तेज़ है।
अमेरिका: OpenAI, Microsoft, Google और Amazon जैसे दिग्गज कंपनियाँ एआई में अरबों डॉलर का निवेश कर रही हैं।
चीन: Baidu, Tencent और Alibaba के जरिए जनरेटिव एआई और सुपरकंप्यूटिंग में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
यूरोप: डेटा प्राइवेसी और एआई रेगुलेशन पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी स्वतंत्र एआई रणनीति बना रहा है।
भारत की स्थिति:
भारत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और सस्ते इंटरनेट के मामले में पहले ही दुनिया में उदाहरण बन चुका है। अब रिलायंस-गूगल की साझेदारी भारत को “एआई मैन्युफैक्चरिंग और डिप्लॉयमेंट हब” बना सकती है।
रिलायंस के कारोबार पर असर
एआई का प्रभाव केवल टेक्नोलॉजी नहीं बल्कि रिलायंस के पूरे बिज़नेस इकोसिस्टम पर पड़ेगा:
रिटेल: ग्राहक व्यवहार का विश्लेषण, सप्लाई चेन मैनेजमेंट और पर्सनलाइज्ड शॉपिंग अनुभव
हेल्थकेयर: एआई-सक्षम डायग्नॉस्टिक्स, टेलीमेडिसिन और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स
टेलीकॉम (जियो): नेटवर्क ऑप्टिमाइजेशन, स्मार्ट चैटबॉट्स और 5G/6G सर्विसेज में एआई का एकीकरण
ऑयल-टू-केमिकल: उत्पादन प्रक्रिया का ऑटोमेशन, प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस और ऊर्जा दक्षता
मार्केट एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह साझेदारी भारत के डिजिटल इकॉनमी के लिए “गेम चेंजर” साबित हो सकती है।
टैलेंट, स्टार्टअप्स और रोजगार की संभावनाएँ
भारत पहले ही आईटी सेवाओं में अग्रणी है। एआई हब बनने से लाखों नए रोज़गार अवसर पैदा होंगे। भारतीय स्टार्टअप्स को विश्वस्तरीय प्लेटफ़ॉर्म मिलेगा और रिसर्च और इनोवेशन को नई गति मिलेगी। इसके साथ ही “Make in India” और “Digital India” जैसे अभियानों को बढ़ावा मिलेगा।