बिना उपभोक्ता की सहमति स्मार्ट मीटर को प्री-पेड में बदलना गलत

स्मार्ट मीटर के दाम करने का प्रस्ताव आ चुका है

Lucknow: बिना उपभोक्ता की सहमति स्मार्ट मीटर को पोस्टपेड से प्री-पेड मोड में बदले जाने को लेकर विरोध बढ़ता रहा है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि यह विद्युत अधिनियम 2003 का खुला उल्लंघन है। कॉरपोरेशन प्रबंधन राष्ट्रीय कानून की अनदेखी कर रहा है। परिषद ने चेतावनी दी कि अगर प्रबंधन ऐसा करना बंद नहीं करता है तो केंद्रीय स्तर पर मामले को उठाया जाएगा। कारपोरेशन मनमाने तरीके से स्मार्ट मीटर के अधिक दाम वसूलने का मामला अभी चल ही रहा है। हालांकि विद्युत नियामक आयोग ने इस वसूली पर रोक लगाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए स्मार्ट मीटर के दाम कम करने के प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है।

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राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि 11 दिसंबर 2025 को लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने यह बात स्वीकार की कि पोस्टपेड व्यवस्था को बंद नहीं किया गया है यह डिफॉल्ट मोड में अभी भी लागू है। सांसद रूचि वीरा की ओर से पूछे गए सवाल पर श्री खट्टर ने यह भी कहा गया कि आरडीएसएस योजना के तहत स्मार्ट प्रीपेड मीटर पहले सरकारी कार्यालयों, वाणिज्यिक संस्थानों, औद्योगिक इकाइयों और बड़े उपभोक्ताओं पर लगाए जा रहे हैं। इनके लगने पर अगर परिणाम बेहतर आते हैं तो अन्य उपभोक्ताओं के परिसर पर प्रीपेड मीटर लगाने पर विचार किया जाएगा।

वर्मा ने का कहना है कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री के जवाब के बावजूद यूपी में बड़े पैमाने पर गरीब और छोटे घरेलू उपभोक्ताओं के परिसर पर उनकी सहमति के बगैर न केवल स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे बल्कि उन्हें प्रीपेड मोड में बदला भी जा रहा है। वर्मा का कहना है कि प्रदेश में अब तक करीब 53 लाख से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं, जिनमें से 33 लाख से अधिक मीटर उपभोक्ताओं की सहमति के बिना प्रीपेड मोड में कन्वर्ट कर दिए गए हैं। परिषद ने इसे पूरी तरह मनमाना और गैरकानूनी करार दिया है।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) के तहत उपभोक्ताओं को पोस्टपेड या प्रीपेड मीटर चुनने का वैधानिक अधिकार है। यह एक राष्ट्रीय कानून है और किसी भी स्थिति में इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। वर्मा सेंट्रल एडवाइजरी कमेटी के सदस्य भी हैं।

उनका कहना है कि जब स्वयं केंद्रीय ऊर्जा मंत्री लोकसभा में यह स्पष्ट कर चुके हैं कि पोस्टपेड सेवा डिफॉल्ट मोड है और प्रीपेड मीटरों का विस्तार चरणबद्ध तरीके से होना है, तो फिर उत्तर प्रदेश में उपभोक्ताओं के विकल्प को क्यों छीना जा रहा है। उन्होंने इसे उपभोक्ताओं के अधिकारों पर सीधा हमला बताया। श्री वर्मा ने कहा कि अभी भी समय है कि कॉरपोरेशन प्रबंधन यह नियम लागू करे कि स्मार्ट मीटर को प्रीपेड मोड में बदलने से पहले उपभोक्ता की सहमति ली जाए। वर्मा ने चेतावनी दी कि अगर यूपीपीसीएल प्रबंधन ने अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया और विद्युत उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन जारी रहा तो उपभोक्ता परिषद इस मामले को केंद्रीय स्तर पर उठाएगी। परिषद मांग करेगी कि कारपोरेशन के दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि स्मार्ट मीटर को प्रीपेड मीटर में बदले जाने को लेकर कारपोरेशन इस रणनीति पर काम कर रहा है वह केन्द्र की जानकारी में है।

कास्ट डेटा बुक में प्रस्तावित दरें

विद्युत नियामक आयोग द्वारा सभी वितरण कंपनियों को प्रस्तावित कॉस्ट डेटा बुक का मसौदा भेज दिया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेखित है—

पावर कॉरपोरेशन उपभोक्ताओं से—

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