सीडीआरआई में हुआ नुक्कड़ नाटक अपराजिता का मंचन
केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान में अंतर्राष्ट्रीय महिलादिवस के अवसर पर नुक्कड़ नाटक अपराजिता का मंचन कराया गया। इस नाटक के माध्यम से पितृसत्तात्मक सोच, समाज की दोहरी मानसिकता, एवं महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण रवैए को व्यंग्यात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया। और संदेश दिया गया की लड़कियों की पूजा भले ना करिए लेकिन उनको अधिकार दीजिए।
स्टोरी: इसमें दिखाया गया की किस तरह से ललन तिवरी अपने बेटे गुल्लू को कॉन्वेंट मैं एडमिशन करता है और बेटी चिंकी को प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने भेजताहै। चिंकी को मिले विद्या कन्या धन के पैसे को वह गुल्लू की मेडिकल कोचिंग में लगा देता है। चिंकी अपनी मम्मी बबली के सहयोग से घर पर ही मेडिकल परीक्षा की तैयारी करती है। परिणाम आने पर पता चलता है कि गुल्लू फेल हो गया और चिंकी टॉप कर गई।
कुछ डायलॉग : जब भी यह समाज आशीर्वाद देने के लिए मुंह खोलेगा, हमेशा पुत्रवती भव ही बोलेगा। सोच बदलिए और बोलिए पुत्रीवती भव।
बबली कहती है : सारे व्रत हम महिलाओं के लिए ही बने हैं हम ही तपें हम ही जले…
“हमारे कंधे इतने कमजोर नहीं जो पिता का भार ना उठा सकें”
नाटक का थीम सॉन्ग
ओ वुमनिया, सुनो वुमनिया
हमारे करम में क्यों मिर्च धनिया
दुख से भरी है अपनी कहानियां
हमको ना बदलो सोच को बदलो
खुद को ही बदलो, बदलेगी दुनिया”
नाटक के लेखक एवं निर्देशक कवि पंकज प्रसून ने नाटक के अंत अपनी कविता लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं को प्रस्तुत करते हुए पढ़ा -“लड़की जब घर से निकलती है तो उसे लड़ना होता है गलियों से राहों से सैकड़ो घूरती निगाहों से”
कार्यक्रम में केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान की निदेशक डॉ राधा रंगराजन एवं संस्थान के तमाम वैज्ञानिक अधिकारी और विद्यार्थी मौजूद रहे। नाटक की प्रस्तुति के दौरान खूब तालियां बजी और इसे देखने वालों ने खूब सराहा।
कलाकार : संस्थान के ही
वैज्ञानिक अधिकारियों एवं विद्यार्थियों ने इसमें अभिनय किया।
सिद्धांत : ललन तिवारी
डा शैल सिंह : बबली की सास
स्मिता पांडे :बबली
काजल : उद्घोषक
पूजा सोनी : चिंकी
आलोक: गुल्लू
सम्हिता: रिपोर्टर
अलीना और अमीषा : रिपोर्टर
अरनव द्विवेदी : कैमरा मैन
शॉय श्री : बाल कलाकार