World No Tobacco Day: स्मोकिंग करने वालों को कैंसर का खतरा 30 गुना और हार्ट अटैक का खतरा 6 गुना अधिक

Lucknow: सिगरेट का एक कश, सौ कदम मौत की ओर ले जाता है। तंबाकू का सेवन सिगरेट, खैनी, गुटखे किसी भी रूप में हो, हर प्रकार से यह जानलेवा है। तंबाकू के प्रयोग करने वालों में हार्ट अटैक का खतरा 6 गुना अधिक रहता है। तंबाकू के कारण फेफड़े व अन्य प्रकार के कैंसर का खतरा 30 गुना बढ़ता है और दमा की बीमारी का खतरा तीन गुना तक बढ़ जाता है।
इसके अलावा तंबाकू के सेवन से पुरुषों में नपुंसकता (infertility) की समस्या दो गुना तक बढ़ जाती है। हर एक सिगरेट जीवन को राख बनाती है। इसलिए आज और अभी से सिगरेट तंबाकू छोड़ें और स्वस्थ जीवन अपनायें। शुक्रवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ( Pulmonary and critical care department) के विभागाध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश ने यह जानकारी दी।
इस अवसर पर प्रो. राजेन्द्र प्रसाद, प्रो. ऋषि सेठी, प्रो. आर.ए.एस. कुशवाहा, प्रो. यू.एस. पाल, प्रो. अमित आर्य, डॉ. शिव राजन, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. मोहम्मद आरिफ, डॉ. मृत्युंजय सिंह, डॉ. दीपक शर्मा, डॉ. शुभ्रा श्रीवास्तव, डॉ. संदीप कुमार, डॉ. अपर्णा समेत अन्य विशेषज्ञ भी उपस्थित रहे और उन्होंने तंबाकू से होने वाले नुकसान और बीमारियों से बचाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
डॉ. आर.ए.एस कुशवाहा ने बताया कि विश्व स्वाथ्य संगठन (World Health Organisation) के अनुसार लगभग 80 लाख लोगों की मौत प्रति वर्ष तंबाकू सेवन के कारण हो जाती है। इनमें से 70 लाख लोग स्मोकिंग करने वाले हैं जबकि 10 लाख मौते पैसिव (Passive smoking) या सेकेंड हैंड स्मोकिंग के कारण होती है। कोई एक व्यक्ति धूम्रपान करता है तो धुंआ उसके फैफड़ों में तो जाता ही है साथ ही घर में मौजूद बच्चे या अन्य सदस्यों के शरीर में भी पहुंचता है। इसका मतलब है कि करीब 10 लाख बच्चों या अन्य लोगों की मौत दूसरों के द्वारा किए जा रही स्मोकिंग की लत के कारण हो जाती है।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) की पूर्व संध्या पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में प्रो. वेद प्रकाश ने बताया कि तंबाकू का सेवन कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक, अस्थमा, बांझपन, मानसिक रोग और समय से पूर्व मृत्यु का प्रमुख कारण है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर वर्ष तंबाकू के सेवन से विश्व भर में 80 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें 10 लाख मौतें सेकंड हैंड धुएं के कारण होती हैं।
ई सिगरेट और निकोटीन पाउच भी हानिकारक
तंबाकू कंपनियां ई-सिगरेट, निकोटीन पाउच जैसे उत्पादों को “हानिरहित” के रूप में प्रचारित कर रही हैं, जबकि ये भी उतने ही नशीले और खतरनाक हैं। इसलिए इनसे भी दूर रहने की आवश्यकता है।
- तंबाकू सेवन से फेफड़ों का कैंसर 30 गुना, दमा का खतरा 3 गुना, हार्ट अटैक का खतरा 6 गुना, और पुरुषों में नपुंसकता का खतरा 2 गुना बढ़ता है।
- हर दिन भारत में लगभग 3,600 लोग तंबाकू के कारण दम तोड़ते हैं।
- भारत में 27 करोड़ से अधिक वयस्क किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं।
- भारत तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण हर साल ₹220 करोड़ से अधिक का आर्थिक बोझ झेलता है।
तंबाकू के दुष्प्रभाव:
- कैंसर: मुंह, फेफड़ा, अग्न्याशय, मूत्राशय, गर्भाशय आदि।
- हृदय रोग: दिल का दौरा, स्ट्रोक, धमनियों की बीमारियां।
- प्रजनन समस्याएं: बांझपन, समय से पहले प्रसव, मृत शिशु का पैदा होना।
- मानसिक विकार: चिंता, अवसाद, आत्महत्या की प्रवृत्ति।
- सेकंड हैंड स्मोक: बच्चों में अस्थमा, संक्रमण, SIDS (शिशु मृत्यु सिंड्रोम) जैसी गंभीर समस्याएं।
तंबाकू छोड़ने के प्रयास
डॉक्टर्स ने बताया कि व्यक्ति चाह ले तंबाकू से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। उसके तंबाकू की लत और सेवन की मात्रा का आकलन करके व्यवहारिक परामर्श, निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी (NRT), दवाएं जैसे बुप्रोपियन और वेरेनिक्लाइन के माध्यम से इससे बचाव हो सकता है।
प्रो. वेद प्रकाश ने कहा, “विश्व तंबाकू निषेध दिवस केवल एक दिन की मुहिम नहीं, बल्कि चेतना की एक जंग है। हमें तंबाकू उद्योग की चालों को पहचानकर उसका मुकाबला करना होगा। इनके उत्पाद फैशनेबल नहीं, बल्कि घातक हैं।”