Health

विश्‍वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल कर पढ़ाया जाय गर्भ संस्‍कार: राज्‍यपाल आनंदी बेन पटेल

राज्यपाल की अध्यक्षता में KGMU की NAAC Re-Asessment रिपोर्ट की समीक्षा बैठक सम्पन्न, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और गहन अनुसंधान को प्राथमिकता देने का आह्वान

Lucknow: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति (Chancellor) आनंदी बेन पटेल ने शुक्रवार को राजभवन में किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU), लखनऊ की नैक (NAAC) पुनर्मूल्यांकन (Re-assesment) रिपोर्ट की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालयों में गर्भ संस्कार की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को इसे अपने पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। साथ ही, इस विषय पर आधारित कार्यशालाएं आयोजित कर व्यापक चर्चा की जानी चाहिए ताकि भावी पीढ़ी को उत्तम स्वास्थ्य और संस्कार प्रदान किए जा सकें।

राज्‍यपाल ने यह भी कहा कि गर्भ संस्कार, प्रसव पूर्व एवं प्रसवोत्तर देखभाल तथा मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) जैसे महत्वपूर्ण विषयों को सभी विश्‍वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।

Anandi Ben Patel Chancellor 1

राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान माता-पिता का आचरण, पोषण और मानसिक स्थिति शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास पर गहरा प्रभाव डालते हैं। इसलिए गर्भ संस्कार को शिक्षा का अभिन्न हिस्सा बनाकर विद्यार्थियों को इसके वैज्ञानिक और सांस्कृतिक पहलुओं की जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल माताओं को ही नहीं, भावी पिताओं को भी इस विषय में प्रशिक्षित किया जाए, ताकि वे गर्भावस्था के दौरान पोषण और देखभाल में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

राज्यपाल श्रीमती पटेल ने विश्वविद्यालय को सर्वोच्च ग्रेड प्राप्त करने के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान का उद्देश्य केवल ग्रेड प्राप्ति तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि गुणवत्तापूर्ण और उद्देश्यपरक शिक्षा प्रदान करना मुख्य ध्येय होना चाहिए। उन्होंने गर्भावस्था और प्रसव से जुड़े विविध पहलुओं पर गहन अनुसंधान की आवश्यकता पर बल दिया और ‘बिना दर्द के प्रसव’ (पेन फ्री डिलीवरी) पर शोध कार्य आरंभ करने का निर्देश दिया।

राज्यपाल (Governer) ने सुझाव दिया कि गर्भ संस्कार, प्रसव पूर्व एवं प्रसवोत्तर देखभाल तथा मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) जैसे महत्वपूर्ण विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। साथ ही, आयुर्वेद आधारित समाधानों के साथ इन विषयों पर गहन शोध को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय बच्चियों और भावी माता-पिता को पोषण और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता प्रदान करने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करें।

चिकित्सा शिक्षा (Medical Education) में innovation को बढ़ावा देते हुए राज्यपाल ने Advance learning तकनीकों के जरिये छात्रों को जटिल सर्जिकल प्रक्रियाओं में दक्ष बनाने पर भी बल दिया। उन्होंने केजीएमयू (KGMU) द्वारा आयोजित कैडेवरिक वर्कशॉप्स की सराहना की, जिसमें मेडिकल छात्रों और विशेषज्ञ सर्जनों को जीवन रक्षक सर्जरी का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है।

बैठक के दौरान राज्यपाल ने KGMU को ट्रांसजेंडर समुदाय के बीच संवाद स्थापित करने और उनके लिए जागरूकता व्याख्यान आयोजित करने के भी निर्देश दिए। साथ ही, विद्यार्थियों की शिकायतों और सुझावों को सुनकर त्वरित समाधान सुनिश्चित करने, स्लो लर्नर्स के लिए विशेष व्यवस्था बनाने तथा योग शिक्षा को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया।

उन्होंने विश्वविद्यालय (University) को आंगनबाड़ी केंद्रों और टीबी मरीजों की सेवा में सक्रिय भागीदारी निभाने, गोद लिए गांवों में जागरूकता अभियान तेज करने और विश्वविद्यालय रेडियो के माध्यम से स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता संबंधी जानकारियों के प्रचार-प्रसार का भी निर्देश दिया।

राज्यपाल ने विशेष रूप से कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा, शोध और सेवा के क्षेत्र में अपनी गुणवत्ता को ऊंचे मानकों तक पहुँचाए तथा सभी अधिकारी, शिक्षक और छात्र मिलकर पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य करें।

इस समीक्षा बैठक में अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ. सुधीर महादेव बोबडे, विशेष कार्याधिकारी (शिक्षा) डॉ. पंकज एल. जानी, केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद, डॉ. आरएएस कुशवाहा, डॉ. अनूप वर्म,  तथा नैक टीम के सदस्य और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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