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वर्ष 2030 तक प्रदेश का हरित आवरण 20% करने का लक्ष्य, जुलाई में चलेगा 35 करोड़ पौधरोपण अभियान

मुख्यमंत्री का निर्देश: पौधरोपण की सफलता के लिए 50 करोड़ पौधों की नर्सरी हो तैयार, शीघ्र प्रारम्भ होगा नदी पुनरोद्धार अभियान , मुख्यमंत्री का निर्देश, नदियों और एक्सप्रेसवे के दोनों ओर नियोजित वृक्षारोपण हो

Lucknow: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने कहा है कि पर्यावरण संरक्षण (Environment conservation) केवल शासन की नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। वर्ष 2030 तक प्रदेश के हरित आवरण (Green Cover) को 20 प्रतिशत तक ले जाने का हमारा लक्ष्य तभी सफल होगा जब वृक्षारोपण जनांदोलन का स्वरूप ले।

उन्होंने निर्देश दिए कि आगामी 01 से 07 जुलाई के बीच वृहद पौधरोपण (Plantation) अभियान पूरी तैयारी, समन्वय और जनभागीदारी के साथ संचालित किया जाए। इसके अंतर्गत वर्ष 2025 में 35 करोड़ पौधरोपण का लक्षित अभियान चलेगा। मुख्यमंत्री शनिवार को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तथा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।

योगी ने दोनों माननीय विभागीय मंत्रियों को पौधरोपण (Plantation) अभियान की पूर्व तैयारी की गहन समीक्षा करने और अभियान की सफलता के लिए न्यूनतम 50 करोड़ पौधों की नर्सरी तैयार रखने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि रोपे जाने वाले पौधों में अधिकतम जैव विविधता सुनिश्चित की जाए—फलदार, छायादार, औषधीय और इमारती पौधों का संतुलित समावेश हो। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजनाओं के सभी लाभार्थियों सहित ‘ज़ीरो पॉवर्टी’ की श्रेणी में चिन्हित प्रत्येक परिवार को ‘सहजन’ का पौधा प्रदान किया जाए।

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में एक व्यापक ‘नदी पुनरोद्धार अभियान’ शुरू किया जा रहा है। इसके तहत राज्य की प्रमुख नदियों के दोनों किनारों पर वृक्षारोपण किया जाएगा। साथ ही सभी निर्माणाधीन, प्रस्तावित तथा क्रियाशील एक्सप्रेसवे के दोनों ओर की खाली भूमि पर नियोजित वृक्षारोपण कराया जाएगा। उन्होंने नेपाल से आने वाली नदियों में अत्यधिक सिल्ट की समस्या को गंभीर बताते हुए उनके चैनलाइजेशन की संभावनाओं पर विचार करने को कहा।

मुख्यमंत्री ने वृक्षारोपण के पर्यावरणीय ही नहीं, सामाजिक और आर्थिक पक्षों को भी अत्यंत महत्वपूर्ण बताया और निर्देश दिए कि इस वृहद अभियान के बहुआयामी प्रभावों का विश्लेषण कराने हेतु आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थान का सहयोग लिया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल रोपण नहीं, पौधों की सुरक्षा और पोषण भी हमारी साझा जिम्मेदारी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैव विविधता (Bio diversity) की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। हर जिले की अपनी कोई न कोई विशिष्टता है—कहीं विरासत वृक्ष हैं तो कहीं विविध प्रजातियों के वन्य जीव। इन सभी तत्वों का विधिवत दस्तावेजीकरण आवश्यक है। इसी उद्देश्य से प्रत्येक ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय में ‘जैव विविधता रजिस्टर’ तैयार कराया जाए।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि प्रदेश के सभी ग्राम पंचायतों एवं नगरीय निकायों में ‘ग्रीन चौपाल’ का आयोजन किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली को अपनाने, कृषि वानिकी तथा टिकाऊ कृषि मॉडल को प्रोत्साहित करने और पारंपरिक पर्यावरणीय ज्ञान को पुनर्स्थापित करने के प्रयास हों। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक गाँव में कम-से-कम एक ‘ग्राम-वन’ की स्थापना अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जाए। ‘ग्रीन चौपाल’ की संरचना और क्रियान्वयन की विस्तृत कार्ययोजना शीघ्र तैयार की जाए।

मुख्यमंत्री ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को अत्यंत संवेदनशील मुद्दा बताते हुए निर्देश दिया कि बहराइच, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत और बिजनौर जैसे जिलों में सोलर फेंसिंग की प्रभावी व्यवस्था की जाए। वन्यजीवों की गतिविधियों का नियमित अनुश्रवण हो और वन क्षेत्रों में सघन गश्त सुनिश्चित की जाए।

वन सेवा के सभी संवर्गों में रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए। यदि कहीं नीतिगत अथवा प्रक्रियात्मक अड़चन हो, तो तत्काल मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत कराया जाए। मुख्यमंत्री ने वानिकी प्रशिक्षण संस्थानों—कानपुर, मेरठ, आगरा, मऊ, मीरजापुर और प्रतापगढ़—की क्षमता वृद्धि को आवश्यक बताया और इनके शीघ्र सुदृढ़ीकरण के निर्देश दिए।

बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्माणाधीन कुकरैल नाइट सफारी की अद्यतन स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि ठेकेदार चयन की प्रक्रिया अगले एक सप्ताह में पूरी कर ली जाए। उन्होंने वानिकी एवं उद्यानिकी विश्वविद्यालय की अवधारणा की सराहना करते हुए कहा कि इसका भवन इसकी मूल थीम के अनुरूप हो और यह संस्थान विभागीय प्रशिक्षण, शोध व नवाचार का केंद्र बने।

मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत में पाई जाने वाली कुल 6327 गंगेटिक डॉल्फ़िन (Dolphin) में से 2397 उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में हैं, जो देश में सर्वाधिक है। उन्होंने इस दिशा में हुए प्रयासों की सराहना करते हुए संरक्षण की गतिविधियों को निरंतर जारी रखने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरणीय प्रगति केवल आंकड़ों से नहीं, बल्कि धरातल पर दिखने वाले वास्तविक परिणामों से आंकी जाएगी। उन्होंने जलवायु परिवर्तन की राज्य कार्ययोजना के प्रभावी क्रियान्वयन, वायु और जल गुणवत्ता की सतत निगरानी, वृक्षारोपण की त्रि-स्तरीय मॉनिटरिंग, ग्रीन फाइनेंसिंग और पर्यावरणीय नवाचारों को विशेष प्राथमिकता देने के निर्देश दिए।

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