Makar Sankranti 2024 मकर संक्रांति कब है और क्या है इस दिन दान पुण्य का महत्व
सूर्य जब जब राशि परिवर्तन करते हैं उसे संक्रांति कहा जाता है लेकिन मकर संक्रांति का खास महत्व है।
जब ग्रहों के राजा सूर्य देव जब धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इसी पल को ही मकर संक्रांति कहा जाता है। सूर्य जब जब राशि परिवर्तन करते हैं उसे संक्रांति कहा जाता है लेकिन मकर संक्रांति का खास महत्व है। हिन्दू धर्म का यह एक प्रमुख त्योहार है.
हम लोग इस दिन सूर्य देव की पूजा- पासना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की आराधना करने से जातक के सभी दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि के साथ साथ खुशहाली आती है.
इसी दिन से सूर्च दक्षिणायन से उत्तरायण में होते हैं और इसी कारण इसको उत्तरायणी भी कहते हैं.
मकर संक्रांति में दान पुण्य का महत्व
सूर्य की उत्तरायण गति आरंभ होने से सभी राशि को भी प्रभावित करते हैं. लेकिन, सूर्य के कर्क तथा मकर राशि में प्रवेश करते है धार्मिक दृष्टी से यह जातकों के लिए बहुत ही फलदायक होता है. ऐसा माना जाता है कि सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में प्रवेश करते हैं. इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि इसी दिन गंगा भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए गंगासागर में जाकर मिली थी. इसी कारण संक्रांति के दिन गंगातट पर या गंगासागर में स्नान करने को कहा जाता है. कहा जाता है कि गंगा स्नान करने के बाद इस दिन दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कब है मकर संक्रांति
सोमवार 15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा. इस दिन दान करने से मोक्ष की नाप्ति होती है.
मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही क्यों है?
मकर संक्रांति का पर्व इस साल 15 जनवरी को मनाया जाएगा. क्योंकि ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी 2024 की अर्धरात्रि 02 बजकर 42 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे. वहीं उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है, इसलिए मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को है. मकर संक्रांति के साथ ही एक माह का खरमास भी इसी दिन से समाप्त हो जाएगा.