‘एक राष्ट्र ,एक चुनाव’ लाएगा सुशासन का नया दौर: एके शर्मा
सुशासन के नए युग की शुरुआत: 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
Lucknow: लखनऊ विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित अटल सुशासन पीठ के तत्वावधान में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का शुभारंभ नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर किया।
श्री शर्मा ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और इस महत्वाकांक्षी विचारधारा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रधानमंत्री मोदी का एक पुराना सपना है, जो सुशासन और समग्र विकास के नए आयाम स्थापित करेगा। श्री शर्मा ने इस विचार को क्रियान्वित करने की चुनौतियों और उनसे निपटने के उपायों पर भी चर्चा की।
अपर प्रमुख सचिव एल. वेंकटेश्वर लू ने अपने प्रशासनिक अनुभव साझा करते हुए इस विचार को सुचारू रूप से लागू करने की संभावनाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आम जनता के बीच संवाद और जागरूकता अभियान के माध्यम से इस पहल को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर बलराज चौहान ने इस विचार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए इसके राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप सुशासन के लिए एक नई दिशा प्राप्त होगी।
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी आर्थिक और प्रशासनिक समस्याओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ देश को विकास के नए मानकों पर ले जाने और भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा।
कार्यक्रम का आयोजन अटल सुशासन पीठ के संयोजक और लोक प्रशासन विभाग के अध्यक्ष प्रो. नंदलाल भारती द्वारा किया गया। उन्होंने सभी अतिथियों का स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। इस अवसर पर शोध पत्रों के संकलन और स्मारिका पुस्तक ‘गुड गवर्नेंस एंड नोशन ऑफ डेवलप्ड इंडिया’ का विमोचन किया गया।
संगोष्ठी के पहले दिन विभिन्न विद्वानों और शोधार्थियों ने अपने विचार और शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस दौरान डॉ. वैशाली सक्सेना, डॉ. उत्कर्ष मिश्रा, डॉ. श्रद्धा चंद्रा, डॉ. नंदिता कौशल, डॉ. सुशील चौहान सहित कई विद्वानों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. वैशाली सक्सेना ने दिया। संगोष्ठी का दूसरा दिन 17 नवंबर को आयोजित किया जाएगा, जिसमें विद्वान ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विषय पर और गहराई से मंथन करेंगे।