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KGMU : प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में बिना इलाज वापस नहीं होंगे मरीज, 2 से 4 बजे तक चलेगी स्‍पेशलिटी क्‍लीनिक 

LUCKNOW: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग (Obstetrics and Gynaecology Department) में मरीजों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए नया आदेश जारी किया गया है। विभागाध्यक्ष प्रो. अंजू अग्रवाल ने निर्देश दिए हैं कि विभाग में आने वाले हर मरीज का पर्चा अनिवार्य रूप से बनाया जाएगा और किसी भी मरीज को बिना इलाज किए वापस नहीं भेजा जाएगा — चाहे उस दिन उसके डॉक्टर की ओपीडी हो या न हो।

अंजू अग्रवाल की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि प्रतिदिन विभाग में ऐसे कई मरीज आते हैं जिनके डॉक्‍टर की ओपीडी या एएनसी उस दिन नहीं होती है, जिस कारण मरीज को उनके डॉक्‍टर किस दिन देखते हैं बताकर पर्चा काउंटर से मरीजों का बिना पर्चा बनाए ही वापस भेज दिया जाता है। जिससे मरीजों को बहुत असुविधा होती है।

अब ऐसा नहीं होगा, हर मरीज का पर्चा बनाकर संबंधित डॉक्टर या टीम को दिखाया जाएगा। डॉ. अंजू अग्रवाल की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कोई भी मरीज विभाग में दिखाने आता है उसका पर्चा बनाना अनिवार्य है। चाहे उस दिन मरीज के डॉक्‍टर बैठते हो अथवा नहीं। कोई भी मरीज बिना डॉक्‍टर को दिखाए वापस नहीं किया जाएगा।

2 से 4 बजे तक चलेगी स्पेशलिटी क्लीनिक

इसके साथ ही 1 अगस्त 2025 से विभाग में स्पेशलिटी क्लीनिक शुरू की गई हैं, जो प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक संचालित होंगी। इन क्लीनिक के पर्चे शाम 4 बजे तक बनाए जाएंगे। शेड्यूल इस प्रकार है—

  • सोमवार (2-4 बजे): गर्भाधारण पूर्व जांच एवं परामर्श क्‍लीनिक (Preconceptional)

  • मंगलवार (2-4 बजे): रजोनिवृत्ति/ मीनोपॉज क्लीनिक (Menopause) एवं जुड़वा गर्भावस्था क्लीनिक (Multifetal Pregnancy Clinic)

  • बुधवार (2-4 बजे): आईसीयू में भर्ती मरीजों का फालोअप क्‍लीनिक (Critical Obstetrics patient follow up) 

  • गुरुवार (2-4 बजे): गर्भावस्‍था में ह्रदय रोग क्लीनिक (Cardio Obstetrics)

  • शुक्रवार (2-4 बजे): गर्भकालीन मधुमेह क्‍लीनिक (GDM=Gestational Diabetes Mellitus) एवं प्रजनन एंडोक्राइनोलॉजी क्‍लीनिक (Reproductive Endocrinology)

  • सोमवार से शनिवार (सुबह 9 से दोपहर 2 बजे): किशोरियों के लिए स्वास्थ्य क्लीनिक (Adolescent Clinic)

विभाग ने सभी सीनियर रेजिडेंट, स्टाफ नर्सों और कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि सभी मरीजों का इलाज किया जाए चाहे वह मरीज किसी अन्‍य डॉक्‍टर को दिखाता हो।

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