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संविदा कर्मी करा रहे थे ठाकुरगंज डिवीजन में लाइन शिफ्टिंग

Lucknow: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन(UPPCL) के ठाकुरगंज विद्युत वितरण डिवीजन में बगैर अफसरों की जानकारी के विद्युत लाइन शिफ्टिंग का काम चल रहा था। जब एसडीओ राधाग्राम को इसकी जानकारी हुई और उन्होंने जेई से पूछा तो काम बंद करा दिया गया। कर्मियों का कहना है कि इस एलटी लाइन को शिफ्ट कराने का जिम्मा दो संविदा कर्मियों ने लिया था। यह संविदा कर्मी डिवीजन में तैनात रहे एक पूर्व जेई की पत्नी के भाई हैं।

चौपटियां दिलाराम बारादरी स्थित पुलिया के पास बने एक मकान के ऊपर से एलटी लाइन गई हुई है। इस लाइन को शिफ्ट करने के लिए मकान के निकट एक एसटी पोल (स्टील टुबुलर) लगा दिया गया है। शुक्रवार सवेरे पोल पर ब्रेकेट बांधकर लाइन शिफ्ट किए जाने का काम शुरू हुआ। इसकी सूचना एसडीओ राधाग्राम रामू गुप्ता को लगी तो उन्होंने जेई और अन्य कर्मियों से पूछताछ की। एसडीओ के अनुसार लाइन को शिफ्ट करने के लिए विभाग में किसी प्रकार का स्टीमेट जमा नहीं किया गया था। इसी कारण काम को रुकवा दिया गया। डिवीजन में कोई एलटी लाइन शिफ्ट की जा रही है इसकी जानकारी अधिशासी अभियंता दीपक कुमार को भी नहीं चली। बताया जा रहा है कि अवैध तरीके से लाइन शिफ्ट कराने का जिम्मा चौपटियां उपकेन्द्र पर तैनात एक संविदा कर्मी Contract worker ने लिया था। विद्युत लाइन राधाग्राम उपकेन्द्र के अधीन थी।

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चौपटियां के कम्प्यूटर ऑपरेटर ने राधाग्राम उपकेन्द्र में संविदा पर तैनात अपने भाई से सम्पर्क कर लाइन को शिफ्ट कराने का काम कराया था। सूत्रों की माने तो इस काम को राधाग्राम के अवर अभियंता की सहमति से अंजाम दिया जा रहा था। अवर अभियंता के कहने पर डिवीजन में काम करने वाली एनसीसी फर्म के कर्मी पोल लगाकर एबीसी चढ़ा रहे थे। एबीसी (एरियल बंच कडक्टर) चढ़ पाता उससे पहले ही शुक्रवार की दोपहर एसडीओ को इसका पता चला और उन्होंने तत्काल काम रुकवा दिया। अधिशासी अभियंता( Executive Engineer) ठाकुरगंज दीपक कुमार का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है। एसडीओ राधाग्राम को पत्र लिखकर रिपोर्ट मंगाई जा रही है। उन्होंने बताया कि उपभोक्ताओं की ओर से एक लाइन हटाने के लिए एक प्रार्थना पत्र आया था जिसे एसडीओ को कार्रवाई के लिए भेजा गया था। स्टीमेट देने के बजाय एनसीसी फर्म से सरकारी खर्च पर लाइन शिफ्ट कराया जाना गलत है। एसडीओ की रिपोर्ट आने पर कार्रवाई की जाएगी।

एक लाख का बन सकता था स्टीमेट
विभागीय कर्मियों का कहना है कि अगर विद्युत लाइन की शिफ्टिंग का काम नियमानुसार कराया जाता तो करीब एक लाख रुपये का स्टीमेट उपभोक्ता को जमा करना पड़ सकता था। विभाग को एक एसटी पोल और करीब चालीस मीटर की एबीसी केबिल के साथ कई अन्य सामग्रियां लगानी पड़ती। इससे पूर्व अधीक्षण अभियंता से एलटी लाइन शिफ्ट करने का तकनीकी अनुमोदन भी लेना पड़ता। अनुमोदन के बाद ही लाइन को हटाया जा सकता था। मगर ऐसा न करके संविदा कर्मियों ने जेई की मिलीभगत से लाइन शिफ्ट कराने का काम शुरू करा दिया।

पूर्व जेई ने संविदा पर रखे अपने रिश्तेदार
ठाकुरगंज डिवीजन में तैनात रहे पूर्व जेई ने अपने दो रिश्तेदारों को कुछ माह पहले अपने ही डिवीजन में संविदा पर तैनात करा दिया था। जेई का रिश्तेदार होने के नाते दोनों संविदा कर्मी अन्य कर्मचारियों को धमकाते हैं। राधाग्राम व चौपटियां उपकेन्द्र पर तैनात दोनों संविदा कर्मियों का दबदबा ऐसा है कि अवर अभियंता उनकी सलाह पर ही सारे काम करते हैं। नये कनेक्शन की टीएफआर करने से लेकर पीडी व डिस्कनेक्शन जैसे सभी अहम काम इन्हीं दोनों संविदा कर्मियों के माध्यम से जेई करते हैं। बिजली चोरी में पकड़े जाने पर लेनदेन कर बिजली चोर को छोडऩे में भी इन्हीं संविदा कर्मियों की भूमिका रहती है।

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