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NCERT की जगह महंगी किताबों के लिए मजबूर करने वाले 33 निजी स्‍कूलों पर पांच पांच लाख का जुर्माना

Sambhal के डीएम राजेंद्र पेंसिया (Rajender Pensiya) ने पेश की मिशाल, स्‍कूल नहीं सुधरे तो दूसरे चरण में उनकी मान्‍यता होगी रद्द

निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की जगह महंगी किताबें पढ़ाने पर कार्रवाई तेज, डीएम ने लगाए पांच-पांच लाख के जुर्माने

Sambhal: उत्‍तर प्रदेश के संभल जिले के निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की अनिवार्य पुस्तकों के बजाय निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें पढ़ाए जाने पर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। जिलाधिकारी Rajender Pensiya ने पहले चरण में 33 स्कूलों पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने के आदेश दिए हैं। साथ ही विद्यालयों की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

जिलाधिकारी ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि स्कूलों ने सुधार नहीं किया तो दूसरे चरण की कार्रवाई के बाद तीसरे चरण में उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।

प्रशासन के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत कक्षा एक से आठ तक के सभी बच्चों को एनसीईआरटी की पुस्तकें ही पढ़ाई जानी चाहिए, लेकिन कुछ स्कूल इन निर्देशों की अनदेखी कर रहे हैं। अभिभावकों पर आर्थिक बोझ डालते हुए ऐसे स्कूल निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें खरीदवा रहे हैं।

बेसिक शिक्षा अधिकारी को 12 मई तक रिपोर्ट देने के निर्देश

डीएम राजेंद्र पैंसिया (Rajender Pensiya) ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे 12 मई तक चिन्हित स्कूलों की रिपोर्ट प्रस्तुत करें। रिपोर्ट में स्कूलों द्वारा प्रयोग की जा रही पुस्तकों की सूची, उनकी कीमतें और संबंधित पुस्तक विक्रेताओं के नाम भी शामिल हों।

फीस वसूली पर भी रखी जाएगी नजर

स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर भी जिला प्रशासन नजर बनाए हुए है। डीएम (Rajender Pensiya) ने निर्देश दिया है कि सभी निजी स्कूल पिछले तीन वर्षों (2022 से 2025 तक) की फीस वसूली का विवरण उपलब्ध कराएं।

इसके अलावा, सभी स्कूलों को ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था लागू करने और फीस की पारदर्शी प्रणाली अपनाने के भी निर्देश दिए गए हैं।

कैंपस में किताबें बेचने पर नाराजगी

जांच में यह भी सामने आया है कि कई स्कूल अपने परिसर में किताबों की दुकान लगवाकर अभिभावकों को निर्धारित दुकानों से ही महंगी किताबें खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं। इस पर भी प्रशासन ने कड़ी नाराजगी जताई है।

प्रशासन सख्त, स्कूलों को सुधरने का अंतिम मौका

जिला प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बच्चों की शिक्षा में किसी तरह की व्यावसायिक लूट को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी स्कूलों को चेतावनी दी गई है कि वे तय मानकों का पालन करें, अन्यथा अगली कार्रवाई में मान्यता रद्द करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

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