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DEXA मशीन से हड्डियों की होगी सटीक जांच

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SGPGI में लगायी गई है DEXA मशीन

Lucknow: हड्डियों की सटीक जांच के लिए संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) अत्याधुनिक डुअल-एनर्जी एक्स-रे एब्जॉर्पियोमेट्री (DEXA) मशीन लगागी गयी है। इस मशीन का शुभारम्भ शुक्रवार को संस्थान के निदेशक प्रो आर. के. धीमन ने किया।

एडवांस डायबिटीज सेंटर (ADC) में इस मशीन के शुभारम्भ करते हुए प्रो. धीमन ने कहा कि यह मशीन हड्डियों की मजबूती की जांच के साथ-साथ ऑस्टियोपोरोसिस और अन्य मेटाबॉलिक अस्थि रोगों की जल्द पहचान में सहायक होगी। इसके माध्यम से मरीजों को समय पर उपचार उपलब्ध हो सकेगा, जिससे भविष्य में होने वाले फ्रैच्चर और अन्य जटिलताओं को रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा कि यह मशीन न केवल रोगी देखभाल में बल्कि अनुसंधान कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। विशेष रूप से ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों से संबंधित अन्य बीमारियों के क्षेत्र में किए जाने वाले शोध को इससे नई दिशा मिलेगी।

DEXA मशीन

DEXA मशीन हड्डियों के घनत्व को मापने का एक सटीक और सुरक्षित तरीका है। यह पारंपरिक एक्स-रे की तुलना में बहुत कम मात्रा में विकिरण का उपयोग करती है और हड्डियों की गुणवत्ता का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करती है। मशीन की सहायता से रीढ़ की हड्डी, कूल्हे और शरीर के अन्य हिस्सों की हड्डियों की मजबूती की जांच की जा सकती है। यह तकनीक न केवल बुजुर्गों के लिए उपयोगी है, बल्कि बच्चों, रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं और लंबे समय से मधुमेह या हार्मोनल असंतुलन जैसी बीमारियों से पीडि़त मरीजों के लिए भी लाभकारी है।

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वसा और मांसपेशियों की भी हो सकेगी जांच

नई मशीन की एक खासियत यह भी है कि यह शरीर में वसा और मांसपेशियों की मात्रा की भी सटीक जानकारी प्रदान करती है। यह विशेष रूप से उन रोगियों के लिए उपयोगी है जो मोटापे, डायबिटीज या हॉर्मोनल बदलाव से ग्रसित हैं। इसके साथ ही यह मशीन रीढ़ की हड्डी में छिपे हुए सूक्ष्म फ्रैक्चर की पहचान करने में भी सक्षम है, जो अक्सर सामान्य जांच में नजर नहीं आते। यह SGPGI में अपनी तरह की दूसरी DEXA मशीन है। पहली मशीन वर्ष 1997 में स्थापित की गई थी। मरीजों की संख्या में हो रही वृद्धि को देखते हुए नई मशीन की स्थापना समय की मांग बन गई थी। अब इस आधुनिक सुविधा से न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि समीपवर्ती राज्यों के मरीजों को भी लाभ मिलेगा।

मशीन की स्थापना से संस्थान में चल रहे शैक्षणिक और शोध कार्यों को भी बढ़ावा मिलेगा। आने वाले समय में इस मशीन की सहायता से हड्डी रोगों पर केंद्रित अनुसंधान और उपचार योजनाओं में और अधिक सुधार संभव होगा, जिससे व्यापक स्तर पर मरीजों को लाभ मिल सकेगा।

एक-तिहाई महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रसित

देश में ऑस्टियोपोरोसिस एक सामान्य समस्या बन चुकी है। आंकड़ों के अनुसार, देश में लगभग 18 से 20 प्रतिशत वयस्क इस स्थिति से प्रभावित हैं। रजोनिवृत्ति के बाद की लगभग एक-तिहाई महिलाएँ ऑस्टियोपोरोसिस का सामना करती हैं। यह स्थिति अक्सर बिना किसी लक्षण के उभरती है और हड्डियों के टूटने पर ही इसका पता चलता है। ऐसे में ष्ठश्वङ्ग्र मशीन जैसी उन्नत जांच प्रणाली समय रहते रोग की पहचान कर सकती है और गंभीर परिणामों से बचाव कर सकती है।

इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. देवेंद्र गुप्ता, एंडोक्राइनोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीति दबडगांव, एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुभाष यादव, डॉ. अंबिका टंडन, डॉ. विभूति मोहंता, बायो स्टैटिस्टिक्स विभागाध्यक्ष डॉ. उत्तम सिंह व सामग्री प्रबंधन विभाग के संयुक्त निदेशक प्रकाश सिंह सहित अनेक वरिष्ठ चिकित्सक और संकाय सदस्य मौजूद रहे।

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