UPPCL: बिजली महंगी होने के नाम पर डरा रहे इंजीनियर
UP में बिजली दरों में 30% बढ़ोतरी का प्रस्ताव पर विरोध नहीं, निजीकरण पर हंगामा

Lucknow: पावर कारपोरेशन (UPPCL) ने यूपी में 30 प्रतिशत तक बिजली दरें (Electricity Tariffs) बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। कारपोरेशन के इस प्रपोजल पर बिजली कर्मचारी कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे। बल्कि यह कहकर उपभोक्ताओं को डराने की कोशिश कर रहे हैं कि इनर्जी सेक्टर का निजीकरण होने से बिजली महंगी हो जाएगी।
निजीकरण (Privatization) को लेकर चल विरोध का असल कारण यह नहीं कि उपभोक्ताओं (Consumers) को इससे नुकसान होगा। हकीकत यह है कि निजी घरानों के विद्युत वितरण व्यवस्था में आने से इंजीनियरों और कर्मियों की अवैध कमाई बंद हो जाएगी। उन्हें काम करना होगा और उपभोक्ताओं को परेशान करके वसूली नहीं कर पाएंगे।
पावर कारपोरेशन ने पूर्वांचल (PUVVNL) और दक्षिणांचल (DVVNL) बिजली कम्पनियों (Discom) के 42 जिलों को निजी घरानों को सौंपने का फैसला लिया है। प्रबंधन कोशिश कर रहा है जल्द से जल्द 42 जिले निजी घरानों को सौंप दिया जाए। इसके विरोध में बीते करीब छह माह से बिजली कर्मचारी विरोध आन्दोलन चला रहे हैं। आन्दोलन कर रहे कर्मियों ने अनशन और विरोध प्रदर्शन के साथ मोटरसाइकिल मार्च तक निकाला है।
प्रबंधन निजीकरण की प्रक्रिया को विराम नहीं दे रहा है। निजीकरण का मसौदा (Draft) तैयार करने के लिए सलाहकार रखा जा चुका है। इंजीनियर और कर्मचारी संगठन शक्ति भवन पर खड़े होकर निजीकरण के नुकसान गिनाने में जुटे हैं। कर्मचारी नेता यह कह रहे हैं कि निजीकरण से केवल कर्मचारियों को ही नुकसान नहीं होगा प्रदेश की जनता को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
जनता को साथ लाना चाहते हैं कर्मचारी
निजीकरण का विरोध अभी तक केवल बिजली घरों तक ही सीमित है। कर्मचारी संगठन जनता को अपने साथ जोडऩे की कोशिश कर रहे हैं। आम लोगों को साथ लाने के लिए पंचायतों (Public meeting) को आयोजन किया गया। ताकि आम आदमी को यह बताया जा सके कि निजीकरण से उनको नुकसान होगा। जनता को निजीकरण से क्या नुकसान होगा इस सवाल पर कर्मचारी नेता कहते हैं कि बिजली महंगी हो जाएगी। नये बिजली कनेक्शन के लिए अधिक कीमत चुकानी होगी। इसके अलावा कर्मचारी संगठन कोई भी कारण नहीं बता पाते। अभी तक आम लोग उनके साथ नहीं आए हैं।
30 प्रतिशत बढ़ोतरी का विरोध नहीं कर रहे
पावर कारपोरेशन ने पिछले महीने 30 प्रतिशत तक बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया है। केवल राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई है। इसके अलावा कोई भी ऐसा कर्मचारी संगठन सामने नहीं आया जिसने सार्वजनिक रूप से यह बयान दिया हो कि बिजली दरें बढऩे से आम जनता पर दबाव पड़ेगा।
यह पहला मौका नहीं है जब कर्मियों ने दरें बढ़ाने का मौन समर्थन किया हो। यूपी के एनर्जी सेक्टर का इतिहास बताता है कि कर्मचारी हमेशा ही हर साल दरें बढ़ाने के पक्ष में रहे हैं। अब निजीकरण की बात आने पर कर्मचारी नेता बिजली रेट बढऩे का हवाला देकर जनता को गुमराह कर रहे हैं।
सबसे ज्यादा नुकसान कर्मचारियों को ही
प्रदेश की बिजली व्यवस्था निजी घरानों के पास जाने पर बिजली का महंगी होना तय है मगर उपभोक्ता की अपेक्षा कर्मचारियों को कई गुना ज्यादा नुकसान होगा। आज जो इंजीनियर भ्रष्टïाचार की बदौलत लाखों की सम्पत्ति जुटा रहे हैं वह नहीं कर पाएंगे। रिश्वत लेते पकड़े जाने या फिर भ्रष्टïाचार (Corruption) उजागर होने पर निलम्बन (Suspension) नहीं बल्कि बर्खास्तगी (Termination) होगी। अभी तो दो से तीन बार निलम्बित होकर भी भ्रष्टïाचारी नौकरी कर रहे हैं। निजी घरानों के आने के बाद ऐसा कर पाना मुश्किल हो जाएगा। सभी को समय पर दफ्तर आकर काम करना होगा। इंजीनियरों की परफार्मेंस देखी जाएगी। उसी के आधार पर प्रमोशन होगा।