स्वास्थ्य

केजीएमयू कार्यपरिषद के लिए चुने गए चार नए सदस्‍य, डॉ. हरिराम डेंटल काउंसिल के लिए निर्वाचित

Lucknow। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में एक दशक बाद कार्यपरिषद और डेंटल काउंसिल के लिए बहुप्रतीक्षित चुनाव संपन्न हो गए। 2014 के बाद पहली बार 12 अप्रैल 2025 को कार्यपरिषद के चार सदस्यों और डेंटल काउंसिल के एक सदस्य का चयन किया गया है।

केजीएमयू कार्यपरिषद (KGMU Executive Council) के लिए चुने गए सदस्य

आधिकारिक जानकारी के अनुसार कार्यपरिषद (Executive Council) के लिए निम्नलिखित चार सदस्य निर्वाचित हुए हैं:

डॉ. ओ.पी. सिंह, डॉ. सुरेश अहिरवार, डॉ. उदय भान सिंह, डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा।  

अब केजीएमयू के महत्‍वपूर्ण निर्णयों और कार्यप्रणाली में इन सदस्‍यों की अहम भूमिका होगी। ये सभी प्रतिष्ठित शिक्षक एवं चिकित्सा विशेषज्ञ हैं।

KGMU Executive council 2

चुनाव अधिकारी प्रो. केके सिंह ने बताया कि जीएमयू को वर्ष 2002 में विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था। केजीएमयू अधिनियम के अनुसार विश्वविद्यालय की कार्य परिषद में कुल 22 सदस्य होते हैं। इनमें से विश्वविद्यालय कोर्ट से निर्वाचित होकर होकर आने वाले चार पंजीकृत स्नातक भी शामिल होते हैं।

पिछले काफी समय से इसकी चुनाव प्रक्रिया संपन्न नहीं हो पाई थी। ऐसे में कार्य परिषद में एक भी निर्वाचित सदस्य नहीं था। इसकी वजह से कार्य परिषद के फैसलों पर लगातार सवाल उठाए जा रहे थे। अब निर्वाचन प्रक्रिया संपन्न हो गई है।

डेंटल काउंसिल के लिए डॉ. हरिराम का चयन

डेंटल काउंसिल के एकमात्र पद के लिए डॉ. हरिराम को निर्वाचित घोषित किया गया है। डॉ. हरिराम लंबे समय से डेंटल चिकित्सा शिक्षा से जुड़े रहे हैं और उनका चयन शिक्षकों में खुशी का विषय बना हुआ है।

डेंटल काउंसिल के लिए डॉ. हरिराम, डॉ. पवित्र रस्‍तोगी और डॉ. भाष्‍कर अग्रवाल मैदान में थे। चुनाव में डॉ. हरिराम को 32, डॉ. पवित्र रस्‍तोगी को 30 और डॉ. भास्‍कर अग्रवाल को 20 वोट मिले हैं।

Dr Hari Ram
Prof Dr Hari Ram

शांतिपूर्ण ढंग से हुआ चुनाव

चुनाव प्रक्रिया शांतिपूर्ण एवं पारदर्शी तरीके से पूरी की गई। फैकल्टी सदस्यों में इस बार चुनाव को लेकर विशेष उत्साह देखने को मिला। विश्वविद्यालय प्रशासन ने समय पर चुनाव संपन्न कराने में अहम भूमिका निभाई।

नव निर्वाचित सदस्यों से नई उम्मीदें

नव निर्वाचित सदस्यों से शिक्षकों और छात्रों को कई सकारात्मक बदलावों की उम्मीद है। यह माना जा रहा है कि कार्यपरिषद और डेंटल काउंसिल की सक्रियता से विश्वविद्यालय की नीतियों में पारदर्शिता और सहभागिता बढ़ेगी।

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