चंडीगढ़ मेयर चुनाव: सुप्रीम कोर्ट के फैसले में आम आदमी जीता, भारतीय जनता पार्टी हारी

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में चंडीगढ़ मेयर चुनाव का विजेता आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार को घोषित किया है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के रिटर्निंग ऑफ़िसर अनिल मसीह को कारण बताओ नोटिस भी दिया है. अनिल मसीह पर आरोप हैं कि उन्होंने आम उम्मीदवार को मिले आठ वोटों के साथ छेड़छाड़ की थी. कोर्ट में में अनिल मसीह ने स्‍वीकार किया कि 8 वोटों पर उन्‍होंने क्रास के चिन्‍ह लगाकर छेड़छाड़ की थी, जिन्‍हें बाद में अमान्‍य करार दिया गया और भारतीय जनता पार्टी का उम्‍मीदवार मेयर पद पर जीत गया था।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीयश डी वाई चंद्रचूड़

मसीह को इस नोटिस का तीन हफ़्तों के अंदर जवाब देना है.

आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को ‘लोकतंत्र की जीत’ बताया है. कुलदीप कुमार ने इसे ‘चंडीगढ़ के लोगों की जीत’ कहा है.

बता दें कि जब पहले चुनाव हुए थे तो रिटर्निंग आफीसर ने 8 वोट अमान्‍रू करार दिए थे। इन सभी को लेकर ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।

इसके पहले सोमवार को कोर्ट ने आदेश दिया था कि मंगलवार को होने वाली सुनवाई के दौरान सारे बैलट पेपर पेश करने किए जाएं. कोर्ट ने वीडियो भी मंगाए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को विजयी घोषित किया. 30 जनवरी को मत गणना में वो हार गए थे. इसी के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “ये कोर्ट कर्तव्य से बंधी है, ख़ासकर आर्टिकल 142 में लिखित ड्यूटी जिसमें पूरा न्याय करने की बात कही गई है. चुनावी लोकतंत्र की प्रक्रिया को छल से नाकाम नहीं किया जा सकता है. ”

चीफ़ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “रिजल्ट शीट से ये जाहिर है कि याचिकाकर्ता को 12 वोट मिले. आठ वोटों को अवैध बताया गया. ऐसा ग़लत तरीके से किया गया. अवैध वोट में से हर एक वैध तरीके से याचिकाकर्ता के पक्ष में डाला गया था.”

उन्होंने कहा, “हमारी राय है कि चुनावी प्रक्रिया को पूरी तरह से अलग कर देना सही नहीं होगा. जबकि इकलौती कमजोरी उस चरण में मिली जब पीठाधीन अधिकारी ने वोटों की गिनती की पूरी प्रक्रिया को परे कर देने से मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धातों के ध्वंस को बढ़ाएगा.”

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