इटावा की अमानवीय घटना: यादव कथावाचक के साथ बदसलूकी पर सियासी उबाल, अखिलेश यादव ने किया सम्मान

ETAWAH: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बकेवर थाना क्षेत्र स्थित दांदरपुर गांव में श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके सहयोगियों के साथ हुई बर्बरता ने देश में राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। जातिगत अपमान, शारीरिक उत्पीड़न और अमानवीय व्यवहार के इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने न सिर्फ पीड़ितों से भेंट कर उनका सम्मान किया, बल्कि भाजपा सरकार पर भी तीखा हमला बोला।
क्या हुआ था दांदरपुर में?
21 जून 2025 को दांदरपुर गांव में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन हुआ था। कथावाचक मुकुट मणि यादव, संत कुमार यादव और श्याम कठेरिया को आमंत्रित किया गया था। कलश यात्रा के बाद, भोजन के समय कुछ लोगों ने कथावाचकों से उनकी जाति पूछी। जब उन्होंने ‘यादव’ बताया, तो कथित रूप से उन्हें दलित मानकर बर्बर व्यवहार किया गया।
पीड़ितों के अनुसार, उन्हें पांच घंटे तक बंधक बनाकर मारा-पीटा गया, चोटी और बाल काटे गए, एक महिला के पैर छूने और नाक रगड़वाने के लिए मजबूर किया गया। उनके वाद्य यंत्रों को तोड़ा गया और उन पर अपमानजनक हरकतें की गईं, जिनमें मानव मूत्र छिड़कना भी शामिल है। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद मामला सुर्खियों में आ गया।
अखिलेश ने दी आंदोलन की धमकी
मामला प्रकाश में आते ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश ने यह भी चेतावनी दी कि यदि तीन दिनों के भीतर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो सपा ‘पीडीए के मान-सम्मान की रक्षा’ के लिए एक बड़े आंदोलन का आह्वान करेगी। उन्होंने कहा, “हमारा संविधान जातिगत भेदभाव की अनुमति नहीं देता। यह व्यक्ति की गरिमा और प्रतिष्ठा के खिलाफ अपराध है।”
इसके बाद पुलिस ने तेजी दिखाते हुए चार आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेज दिया।
अखिलेश ने पीडि़तों का किया सम्मान
मंगलवार 24 जून 2025 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी के मुख्यालय में अखिलेश यादव ने पीड़ित कथावाचकों—मुकुट मणि यादव, संत कुमार यादव, और श्याम कठेरिया—को बुलाकर सम्मानित किया। उन्होंने पीड़ितों को ढोलक और हारमोनियम भेंट किया और प्रत्येक को 21,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की। अखिलेश ने घोषणा की कि प्रत्येक पीड़ित को 51,000 रुपये दिए जाएंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश ने इस घटना को सामाजिक और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ बताते हुए बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला।
उन्होंने कहा, “जब भागवत कथा सब सुन सकते हैं, तो सब बोल क्यों नहीं सकते? यह भगवान कृष्ण से जुड़ी कथा है, और सच्चे कृष्ण भक्तों को कथा कहने से रोका जाना धर्म का अपमान है।” अखिलेश ने इसे ‘वर्चस्ववादी’ और ‘प्रभुत्ववादी’ मानसिकता का परिणाम बताया और मांग की कि अगर कुछ लोग पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समाज को कथावाचन से रोकना चाहते हैं, तो उन्हें स्पष्ट रूप से घोषित करना चाहिए कि वे पीडीए समाज का दान, चढ़ावा, या दक्षिणा स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि वह ऐसी घटनाओं को प्रोत्साहित कर रही है और पीडीए समाज के साथ भेदभाव कर रही है।
इस घटना पर बीजेपी सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की है, और अखिलेश को इसे पीडीए से जोड़कर राजनीति नहीं करनी चाहिए। कपिल देव ने दावा किया कि योगी सरकार में ऐसी घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई होती है, जो पिछली सरकारों में नहीं होती थी।
इस घटना ने उत्तर प्रदेश में जातिगत भेदभाव और सामाजिक समानता के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है। अखिलेश यादव ने इसे पीडीए समाज के उत्पीड़न से जोड़ते हुए बीजेपी पर संविधान विरोधी मानसिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पहले मंदिरों में पीडीए समाज के लोगों के प्रवेश पर गंगाजल से शुद्धिकरण किया जाता था, लेकिन अब यह अपमान सिर मुंडवाने और पिटाई तक पहुंच गया है।