यूपी में कोल्डरिफ कफ सिरप की बिक्री पर रोक

कफ सिरप की जांच के आदेश दिए  FSDA सहायक आयुक्त ने

Lucknow: मध्य प्रदेश तमिलनाडु और केरल में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद यूपी का औषधि प्रशासन विभाग सतर्क हो गया है। सहायक आयुक्त FSDA दिनेश कुमार तिवारी ने राज्य के सभी औषधि निरीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं कि बाजार में उपलब्ध कोल्डरिफ कफ सिरप के नमूने तत्काल एकत्रित कर जांच के लिए भेजे जाएं। उन्होंने एसआर-13 बैच की बिक्री रोकने के साथ ही उनके नमूने राज्य औषधि प्रयोगशाला में भेजने के निर्देश दिए हैं।

रविवार को सहायक औषधि आयुक्त के जारी आदेश में कहा गया है कि तमिलनाडु की मेसर्स स्रेशन फार्मक्यूटिकल द्वारा मई 2025 में निर्मित कोल्डरिफ कफ सिरप (बैच नम्बर-13) में डाईएथिलीन ग्लाइकाल और एथेलिन ग्लाइकाल जैसे विषैले रसायनों की मौजूदगी की आशंका है। ये दोनों रसायन शरीर के लिए बेहद खतरनाक हैं। इनके सेवन से किडनी को गंभीर नुकसान होता है जो जानलेवा हो सकता है। श्री तिवारी ने अपने आदेश में सभी औषधि विक्रेताओं, सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों को भी निर्देश दिया कि उक्त बैच के कफ सिरप की बिक्री के अलावा उपयोग तत्काल रोक दिया जाए।

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साथ ही दुकानों व अस्पतालों में उपलब्ध स्टॉक का नमूना जांच के लिए लखनऊ स्थित राज्य औषधि प्रयोगशाला में तत्काल भेजा जाए। उन्होंने औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि सभी स्थानों पर औषधि की उपलब्धता की जांच करें और नमूने एकत्र कर ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज करें। निर्माण प्रयोगशालाओं को भी कफ सिरप में प्रयुक्त प्रोपलीन ग्लाइकाल के नमूनों की जांच करने को कहा गया है। अपने आदेश में तिवारी ने कहा कि लखनऊ प्रयोगशाला से जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद दोषी उत्पादकों और वितरकों पर आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर शासन से भी सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस मामले में किसी भी स्तर पर लापरवाही न बरती जाए और रिपोर्ट आने तक उक्त कफ सिरप का प्रयोग पूर्णत: बंद रखा जाए।

क्या है डाइएथिलिन ग्लाइकॉल?

डाक्टर बताते हैं कि डाइएथिलिन ग्लाइकॉल एक रंगहीन, गंधहीन और मीठे स्वाद वाला हाइग्रोस्कोपिक रसायन है। जो एक कार्बनिक यौगिक है। इसे एक औद्योगिक सॉल्वेंट के रूप में जाना जाता है, जिसका इस्तेमाल पेंट, ब्रेक फ्लूइड, प्लास्टिक और एंटीफ्रीज बनाने में किया जाता है। यह शरीर के लिए किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं होता है। दवा निर्माण में इसे मिलावट के कारण ग्लिसरीन जैसे सुरक्षित सॉल्वेंट की जगह इस्तेमाल कर लिया जाता है। जो गलत है।

बच्चों के लिए क्यों ज्यादा खतरनाक

डाक्टर बताते हैं कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होता है और उनका शरीर बेहद संवेदनशील होता है। बच्चों का लिवर और किडनी बड़ों की तुलना में टॉक्सिक केमिकल्स को प्रभावशाली तरह से फिल्टर कर बाहर शरीर से बाहर नहीं कर पाती है। डाइएथिलिन ग्लाइकॉल जैसा जहरीला तत्व शरीर में पहुंच कर किडनी को काफी नुकसान पहुंचाता है। बच्चे डिहाइड्रेशन, उल्टी, पेट दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करते हैं। जब ये तत्व गंभीर रूप ले लेता है तो किडनी फेल तक हो जाती है, जिससे जान का खतरा बढ़ जाता है।

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