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वैज्ञानिकों ने तैयार किया आकाशगंगा (Milky Way) की धूल का विस्तृत नक्शा

वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा (Milky Way) में फैली ब्रह्मांडीय धूल भरे आवरण का तैयार किया नया नक्शा, मिलेगा तारों के जन्म का सुराग

NEW DELHI: वैज्ञानिकों ने हमारी आकाशगंगा (Milky Way) में फैली ब्रह्मांडीय धूल का विस्तृत मानचित्र तैयार किया है। यह धूल तारे की रोशनी को मंद कर देती है और लालिमा पैदा करती है। इस नए अध्ययन से पता लगाया जा सकेगा कि आकाशगंगा (Milky Way) में कहाँ नए तारे बनने की संभावना है।

हमारी आकाशगंगा (Milky Way) में गैस और धूल के बड़े-बड़े बादल मौजूद हैं। ये बादल तारों से आने वाली रोशनी को रोकते हैं, जिसे वैज्ञानिक भाषा में स्टेलर एक्सटिंक्शन यानी “तारों की रोशनी का विलुप्त होना” कहा जाता है। धूल और गैस का यह फैलाव समझने से वैज्ञानिकों को मिल्की वे की संरचना और नए तारों के बनने की प्रक्रिया की जानकारी मिलती है।

यह अध्ययन आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान (ARIES) के वैज्ञानिकों ने किया। उन्होंने 6,000 से ज्यादा तारा समूहों (ओपन क्लस्टर) के आंकड़ों का इस्तेमाल करके आकाशगंगा की धूल का नक्शा तैयार किया। इन तारा समूहों के जरिए वैज्ञानिकों को धूल के फैलाव का सही अंदाजा लगा, क्योंकि यह धूल उनकी रोशनी को सोख लेती है और उसे फीका कर देती है।

टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ. वाईसी जोशी ने बताया कि धूल पूरी तरह समान रूप से नहीं फैली है, बल्कि यह एक पतली और लहरदार परत की तरह है। यह परत आकाशगंगा (Milky Way) के केंद्रीय तल से थोड़ी नीचे स्थित है और कई जगहों पर ऊपर-नीचे होती रहती है।

अध्ययन में यह भी सामने आया कि सबसे ज्यादा धूल आकाशगंगा (Milky Way

) के देशांतर (longitude) 41° की दिशा में है और सबसे कम धूल 221° की दिशा में है। सूर्य इस धूल की परत से लगभग 50 प्रकाश वर्ष ऊपर स्थित है।

धूल की मोटाई भी हर जगह एक जैसी नहीं है। आकाशगंगा के केंद्र (Galactic center) की ओर यह ज्यादा घनी है, जबकि अन्य क्षेत्रों में पतली। यह बताता है कि हमारी आकाशगंगा की संरचना काफी जटिल और गतिशील है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह नक्शा आकाशगंगा की बेहतर समझ देगा और तारों तथा अन्य आकाशगंगाओं (Milky Way) के सटीक अध्ययन में मदद करेगा। साथ ही यह भी पुष्टि हुई है कि नए तारे उसी क्षेत्र में अधिक बनते हैं, जहाँ धूल की परत ज्यादा घनी है।

यह अध्ययन भविष्य में, विशेष रूप से अधिक दूरस्थ क्षेत्रों में, अवलोकनों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है ताकि आकाशगंगा की धूल भरी संरचना का और भी अधिक पूर्ण त्रि-आयामी दृश्य प्राप्त किया जा सके। गैया के अगले डेटा रिलीज़ और वेरा सी. रुबिन वेधशाला के लिगेसी सर्वे ऑफ़ स्पेस एंड टाइम (LSST) जैसे आगामी मिशन इस प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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