UPPCL : उपभोक्ता परिषद का बड़ा आरोप, बिजली कंपनियों को कम कीमत में बेचने की साजिश, CBI जांच की मांग

Lucknow: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पावर कॉरपोरेशन (UPPCL) और निजी सलाहकार कंपनियों पर बड़ा हमला बोला है। परिषद का कहना है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की हजारों करोड़ की संपत्तियों को “कम इक्विटी” दिखाकर औने-पौने दाम पर बेचने की तैयारी की जा रही है। परिषद ने इसे निजीकरण की आड़ में सरकारी संपत्ति को बेचने की साजिश बताते हुए CBI जांच की मांग की है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि पावर कॉरपोरेशन मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 के नियमों को नजरअंदाज करते हुए जानबूझकर अधिक AT&C (Aggregate Technical and Commercial) हानियां दिखा रहा है। इसका उद्देश्य निजीकरण (Privatization) के पक्ष में नैरेटिव तैयार करना है।
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उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 31 मार्च 2024 तक 31 मार्च 2024 तक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के पास कुल लगभग 54164 करोड़ की संपत्ति है और वही दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के पास लगभग 36761 करोड़ की संपत्ति है यानी दक्षिणांचल व पूर्वाचल के 42 जनपदों वाली दोनों कंपनियां की कुल संपत्ति लगभग 90925 करोड़ है जिसमें आरडीएसएस RDSS (Revamped Distribution Sector Scheme) के तहत चल रहे करीब 20000 करोड़ का काम जुड़ना बाकी है।
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वर्तमान में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की कुल इक्विटी शेयर कैपिटल की तो वह लगभग 25862 करोड़ है और वही पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की कुल इक्विटी शेयर कैपिटल लगभग 28024 करोड़ है। मतलब दोनों कंपनियों की इक्विटी शेयर पूंजी भी लगभग 53,886 करोड़ रुपये है।
परिषद का आरोप है कि Grant Thornton जैसी फर्म, जिसे असंवैधानिक ढंग से नियुक्त किया गया, देश के कुछ बड़े उद्योगपतियों के साथ मिलकर इन कंपनियों को बेहद कम कीमत पर बेचने का षड्यंत्र रच रही है। परिषद ने मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच CBI से कराई जाए और उच्च अधिकारियों व निजी उद्योगपतियों की कॉल डिटेल खंगाली जाए, जिससे पूरा सच सामने आ सके।
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AT&C हानि के फर्जी आंकड़े
परिषद ने कहा कि दक्षिणांचल में 28.48% और पूर्वांचल में 36.08% हानियां दिखाकर यह बताया जा रहा है कि कंपनियां घाटे में हैं। जबकि वास्तविक स्थिति इससे भिन्न है और यह सिर्फ निजीकरण के पक्ष में माहौल बनाने की एक चाल है।
न्यायिक चेतावनी और मुख्यमंत्री से मांग:
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अजय कुमार वर्मा ने चेतावनी दी है कि सरकारी संपत्ति को कम करके दिखाने और टेंडर मसौदे के जरिए गलत तरीके से बिक्री की कोशिश आने वाले समय में एक बड़े घोटाले का रूप ले सकती है। इसलिए पावर कॉरपोरेशन या बात समझ ले की उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों का निजीकरण कोई बच्चों का खेल नहीं है।