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उपभोक्ता परिषद का UPPCL पर बड़ा आरोप: घाटे का फर्जी आंकड़ा दिखाकर निजीकरण के लिए बनाया जा रहा माहौल, जवाब तलब

Lucknow: उत्‍तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (Uttar Pradesh Electricity Regulatory Commission) ने उपभोक्‍ता परिषद की आपत्तियों पर यूपी पावर कारपोरेशन (UPPCL) से जवाब तलब किया है। उपभोक्ता परिषद ने आपत्तियां दाखिल कर बताया था कि एटी एंंडसी हानियों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है, जिससे घाटा 10200 करोड़ से सीधा 19600 करोड़ पहुंचा दिया गया। उपभोक्ता परिषद का आरोप है कि यह ‘नियोजित घाटा’ दिखाकर बिजली कंपनियों की हालत को जानबूझकर खराब बताया जा रहा है ताकि निजीकरण का माहौल तैयार किया जा सके।

उपभोक्ता परिषद का आरोप है कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने बिजली कंपनियों की खराब वित्तीय हालत का एक ‘नॉरेटिव’ तैयार कर उन्हें कम कीमत पर निजी हाथों में बेचने की रणनीति अपनाई। इसके तहत पावर कॉरपोरेशन ने घाटे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया, लेकिन अब वह खुद अपने जाल में फंसता दिख रहा है। सवाल यह उठ रहा है कि महज एक हफ्ते में घाटा 10,200 करोड़ से बढ़कर 19,600 करोड़ रुपये कैसे हो गया? परिषद ने पूछा है कि इस विसंगति पर पावर कॉरपोरेशन क्या जवाब देगा।

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) द्वारा संशोधित वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) स्वीकार किए जाने के मुद्दे पर उपभोक्ता परिषद ने मंगलवार को आयोग में एक लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल किया। परिषद ने कहा कि जनता अब इन “मनगढ़ंत” आँकड़ों पर आपत्ति और सुझाव दर्ज कराएगी। परिषद ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि पावर कॉरपोरेशन ने मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 के पहले से अनुमोदित आंकड़ों की अनदेखी कर 19 मई को अचानक घाटे को दोगुना दिखाकर बिजली दरों में 30% बढ़ोतरी का आधार बना दिया। क्या यह उपभोक्ताओं को टैरिफ शॉक देने और एक मनगढ़ंत कहानी रचने की कोशिश नहीं है?

परिषद ने कहा कि UPPCL निजीकरण की दिशा में माहौल बनाने के लिए जानबूझकर बिजली कंपनियों की हालत खस्ता दिखा रहा है — जैसे वितरण हानियां और AT&C हानियां बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना — ताकि निजी निवेशकों के लिए इसे “सस्ता सौदा” बनाया जा सके। लेकिन नियामक आयोग ने ARR की समीक्षा करते हुए खुद कई विसंगतियां पकड़ीं और सीधे पावर कॉरपोरेशन से जवाब तलब किया कि हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी बिजली कंपनियों की हालत और खराब क्यों हो गई?

राज्य सलाहकार समिति के सदस्य और उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि नियामक आयोग ने खुद माना है कि बिजली कंपनियों को सुधार के लिए लॉस रिडक्शन मद में 16,112 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे, जिसमें 2024-25 के अंत तक 12,693 करोड़ खर्च भी हो चुके हैं। स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए अलग से 27,342 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई। इसके बावजूद अगर AT&C हानियां और बढ़ गई हैं, तो यह गंभीर सवाल है — आखिर यह संभव कैसे है?

वितरण कंपनीभारत सरकार द्वारा अनुमोदित एटीण्डसी हानियां 2024-25 (%)पावर कॉरपोरेशन द्वारा प्रस्तावित एटीण्डसी हानियां 2025-26 (%)
दक्षिणांचल18.9728.48
मध्यांचल17.9721.93
पक्षमांचल12.6913.35
पूर्वांचल18.4936.08
केस्को8.0710.37
कुल16.4323.44

पावर कारपोरेशन ने बडी चालाकी से मनगढंत आंकडों के आधार पर घाटे को 19600 करोड केवल इसलिए दिखाए क्योंकि उन्हें पता है कि बिजली कंपनियों को बेचने के लिए बिजली कंपनियों की हालत खराब दिखाना पडेगा और यही बात विद्युत नियामक आयोग ने पकड़ ली। विद्युत नियामक आयोग को भी पता था एटीण्डसी हानियाें में बढ़ोतरी करके घाटा बढ़ाया गया है।

विद्युत नियामक आयोग ने पावर कॉरपोरेशन व बिजली कंपनियों से पूछा है की इतना भारी भरकम खर्च होने के बावजूद भी आपकी दक्षता में कोई सुधार क्यों नहीं हुआ कलेक्शन एफिशिएंसी के बारे में भी पूरा डिटेल मांगा है और यह भी कहा है कि आप यह भी बताएं कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग जाने के बाद कलेक्शन एफिशिएंसी कितनी हो जाएगी।

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