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‘सुपरमॉम’ सुनीता ने दान किया 42 लीटर ब्रेस्‍ट मिल्‍क, 30 नवजात बच्‍चों को मिली ज़िंदगी

मां का दूध रोगों के खिलाफ अमृत जैसा है, इसे फेंकना या बर्बाद करना अपराध से कम नहीं: सुपरमाॅम सुनीता

LUCKNOW/VARANASI: उत्तर प्रदेश समेत पूरे भारत में अभी भी हर तीन में से एक मां अपने शिशु को जन्म के पहले छह महीने तक पूरी तरह स्तनपान (Breast feeding) नहीं कराती हैं, वहीं वाराणसी की सुनीता देवी ने मातृत्व की सच्ची मिसाल पेश की है।

वाराणसी के सुभद्रा गांव की निवासी सुनीता देवी ने 31 मई को जुड़वा बेटों को जन्म दिया था। दुर्भाग्यवश, जन्म के कुछ ही दिनों बाद कुछ दिक्‍कतों के कारण एक बेटे की मौत हो गई। इसके बावजूद, उन्होंने अपने दूध (Breast Milk) को केवल अपने शिशु तक सीमित न रखते हुए ज़रूरतमंद बच्चों के लिए भी दान करना शुरू किया। पिछले दो महीनों में सुनीता ने 42 लीटर से अधिक अतिरिक्त दूध (Breast Milk) दान कर कम से कम 30 कमजोर नवजात शिशुओं की जान बचाकर मिसाल पेश की है।

“मां होना एक आशीर्वाद है”

अपने अनुभव साझा करते हुए सुनीता कहती हैं, “मां होना ईश्वर का आशीर्वाद है। अपने बच्चे को दूध पिलाना हर मां का पहला कर्तव्य है। अगर प्रकृति ने किसी को अतिरिक्त दूध दिया है, तो उसे किसी अन्य ज़रूरतमंद शिशु को देना मानवता का काम है।”
उन्होंने अपने बड़ों की सीख को याद करते हुए कहा, “मां का दूध रोगों के खिलाफ अमृत जैसा है, इसे फेंकना या बर्बाद करना अपराध से कम नहीं।”

सुनीता इस समय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (IMS-BHU) के सर सुंदरलाल अस्पताल के बाल रोग विभाग में स्थित कम्प्रिहेंसिव लैक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर (CLMC) में रह रही हैं, ताकि उनका शिशु समय से पहले हुए जन्म की जटिलताओं से उबर सके। यहां वे दिन में कम से कम आठ बार दूध (Breast Milk) निकालकर दूसरे बच्‍चों को दान करती हैं।

डॉक्टर भी मानते हैं मिसाल

बाल रोग विभाग की फैकल्टी सदस्य और एनआईसीयू प्रभारी डॉ. अनु शर्मा ने कहा, “यह कोई साधारण काम नहीं है। मिथक, भ्रांतियां और कुछ सांस्कृतिक परंपराएं कई बार माताओं को अपने ही बच्चों को दूध पिलाने से रोक देती हैं। NFHS-5 के आंकड़े बताते हैं कि कम से कम 35% माताएं जन्म के पहले छह महीने तक केवल स्तनपान नहीं करातीं। ऐसे में सुनीता न केवल ‘सुपर मॉम’ (Super mom) हैं, बल्कि कई बच्चों के लिए परी जैसी संरक्षक हैं।”

उन्होंने बताया कि CLMC नवजात शिशुओं के लिए स्तनपान (Breast Feeding) को बढ़ावा देने, सहायता प्रदान करने और दान किए गए दूध के जरिए जीवन बचाने में अहम भूमिका निभाता है।

पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार ने कहा, “असमय जन्मे और कम वजन वाले बच्चों के लिए मां का दूध जीवनरेखा है। कई बार ऐसी स्थिति आती है जब मां के पास पर्याप्त दूध नहीं होता, तब सुनीता जैसी दानदात्री उनके लिए वरदान बन जाती हैं।”

कम्युनिटी एम्पावरमेंट लैब की प्रोजेक्ट मैनेजर डॉ. वैष्णवी पांडेय ने कहा, “सुनीता की उदारता इसलिए और भी खास है क्योंकि उन्होंने यह सब अपने व्यक्तिगत दुख के बावजूद किया। जुड़वा गर्भावस्था में एक बेटे को खो देने के बाद भी उन्होंने दूसरों के बच्चों के लिए यह नेक काम जारी रखा।”

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यूपी के चाइल्ड हेल्थ जनरल मैनेजर डॉ. मिलिंद वर्धन ने कहा कि राज्य सरकार हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में स्तनपान को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए जागरूकता अभियान चलाती है। उन्होंने कहा “जरूरी है कि परिवार नए माताओं के लिए ऐसा माहौल बनाएं, जिसमें वे बिना किसी हिचक के अपने बच्चों को दूध पिला सकें”।

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