
LUCKNOW: फतेहपुर की हालिया घटना पर विपक्ष के आरोपों के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। विधानसभा में वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि घटना में सरकारी तंत्र का कोई हाथ नहीं है और कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों को हर हाल में सख्त सजा दी जाएगी। उन्होंने आश्वस्त किया कि प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी तरह की अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
रिपोर्ट दर्ज, संगीन धाराओं में मामला पंजीकृत
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे के सवाल का जवाब देते हुए सुरेश खन्ना ने कहा कि इस घटना में सरकार का और सरकारी तंत्र का कोई इनवॉल्वमेंट नहीं है, इसका हम पूरी तरह से खंडन करते हैं। उन्होंने कहा कि घटना के तुरंत बाद 11 अगस्त को थाना कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई। इस एफआईआर में 10 नामजद आरोपियों के अलावा 150 अज्ञात लोगों को भी शामिल किया गया है।
इन सभी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की गंभीर धाराओं — धारा 190, 191(2), 191(3), 301, 196 के साथ ही आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम-7 और सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा-2,3 के तहत कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि ये धाराएं इस बात का संकेत हैं कि सरकार इस घटना को बेहद गंभीरता से ले रही है और किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा।
कानून अपना काम करेगा
सुरेश खन्ना ने कहा कि घटना के संबंध में दर्ज की गई रिपोर्ट से स्पष्ट है कि सरकार अपना काम कर रही है। इसमें कानून अपना काम कर रहा है और जो भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश करेगा, उसे न्यायिक प्रक्रिया के तहत दंड जरूर मिलेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की प्राथमिकता हर हाल में लॉ एंड ऑर्डर को मेंटेन रखना है और किसी भी तरह की अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि विपक्ष इस तरह की घटनाओं को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहा है, जबकि हकीकत यह है कि पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और बिना देरी किए कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी।
क्षेत्र में पुलिस प्रशासन मुस्तैद
मामले की गंभीरता को लेकर योगी सरकार सख्ती से कार्रवाई कर रही है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जो हिंदुवादी नेता मामले में पुलिस पर दबाव बना रहे हैं, उनका सरकार पर कोई दबाव नहीं है। इसके उलट, सरकार हर कीमत पर कानून व्यवस्था और शांति बनाए रखने के लिए प्रयासरत है। इसके तहत, प्रदेश सरकार ने क्षेत्र में 10 थानों की पुलिस फोर्स, दो कंपनी पीएसी और प्रशासन की पूरी टीम तैनात कर दी है। 10 नामजद समेत 160 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। दोनों पक्षों से बातचीत कर माहौल सामान्य किया जा रहा है। सरकार का स्पष्ट कहना है कि मामला शांत होने के बाद कार्रवाई का दौर शुरू होगा।
क्या था मामला
फतेहपुर में 11 अगस्त 2025 को अबुनगर क्षेत्र में एक 200 साल पुराने मकबरे (मांगी मकबरा) को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव और हिंसक झड़पें हुईं। यह विवाद तब शुरू हुआ जब हिंदू संगठनों, जिनमें बीजेपी और बजरंग दल के सदस्य शामिल थे, ने दावा किया कि मकबरा एक प्राचीन हिंदू मंदिर (ठाकुर जी या शिव मंदिर) के अवशेषों पर बनाया गया है।
विवाद की शुरुआत एक सोशल मीडिया वीडियो से हुई, जिसमें कुछ लोगों ने मकबरे को मंदिर बताते हुए कार्रवाई की मांग की।
11 अगस्त को सुबह 9 बजे, बीजेपी के जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल के नेतृत्व में सैकड़ों लोग, जिनमें मठ-मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति के सदस्य शामिल थे, मकबरे के पास इकट्ठा हुए। उन्होंने पुलिस बैरिकेड्स तोड़ दिए, मकबरे में प्रवेश किया, पूजा की, हनुमान चालीसा का पाठ किया, और भगवा झंडे फहराए।
इसके जवाब में, स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच पथराव शुरू हो गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
मुस्लिम बहुल इलाके के निवासियों, जैसे नसीम अहमद, ने आरोप लगाया कि यह एक सुनियोजित हमला था, जिसमें हिंदू संगठनों के सदस्य लाठी-डंडों के साथ आए और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने दावा किया कि मकबरा निजी संपत्ति है, न कि कोई प्राचीन धार्मिक स्थल।
पुलिस ने बीजेपी और बजरंग दल के नेता समेत 10 नामजद व्यक्तियों और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की, जिसमें तोड़फोड़, दंगा, और अवैध प्रवेश के आरोप शामिल हैं।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने हिंसा की निंदा की और इसे सांप्रदायिक तनाव भड़काने का प्रयास बताया।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी पर शासन की विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए धार्मिक स्थलों को विवाद का केंद्र बनाने का आरोप लगाया।