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हास्य नाटक ‘चोरी एक काम है’ का मंचन, बच्चों की परवरिश पर दिया गया संदेश

LUCKNOW: परफार्मिंग आर्ट्स एंड सुपर स्किल स्कूल (पीएस3) द्वारा आयोजित एक माह की ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य कार्यशाला के समापन अवसर पर हास्य नाटक ‘चोरी एक काम है’ का शानदार मंचन संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे जी महाराज ऑडिटोरियम में हुआ। इस नाटक के माध्यम से बच्चों की परवरिश और माता-पिता की भूमिका पर गहरा संदेश दिया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ रंगकर्मी ललित सिंह पोखरिया थे, जिन्होंने नाटक की प्रस्तुति की सराहना की और बाल कलाकारों को कार्यशाला के प्रमाण पत्र प्रदान किए।

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नाटक ‘चोरी एक काम है’ एक लोककथा पर आधारित है, जो एक ऐसे बच्चे की कहानी बयान करता है, जिसे उसकी माँ बचपन से चोरी करना सिखाती है। माँ के अनुसार, चोरी भी एक मेहनत भरा काम है और इसमें कोई बुराई नहीं। इस शिक्षा को सच मानकर बच्चा छोटी-मोटी चोरियों से शुरूआत करता है और धीरे-धीरे एक बड़ा चोर बन जाता है।

कहानी तब रोमांचक मोड़ लेती है, जब वह मालिश वाले के भेष में राजा के महल में प्रवेश करता है और राजा के आभूषण चुरा लेता है। गुस्साए राजा उसे पकड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन चोर अपनी माँ के पास लौटता है और कहता है कि अब उसका चोरी से मन भर गया है। वह घर छोड़कर घूमने निकल पड़ता है।

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रास्ते में उसे दो महात्मा अपने शिष्यों को प्रवचन देते दिखते हैं। उनके वचनों को सुनकर चोर का हृदय परिवर्तन होता है और वह अपनी गलतियों को स्वीकार करता है। महात्मा उसे राजा के पास ले जाते हैं, जहाँ वह प्रायश्चित करता है। राजा, उसका बदला हुआ व्यवहार देखकर उसे माफ कर देते हैं। इस बीच, चोर की माँ भी राजदरबार में अपनी गलतियों के लिए माफी माँगती है और राजा उसे भी क्षमा कर देते हैं। चोर चुराया हुआ सारा धन लौटाने का वादा करता है।

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नाटक के अंत में राजा और महात्मा दर्शकों को संदेश देते हैं कि बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में माता-पिता, परिवार और समाज की अहम भूमिका होती है। जैसी शिक्षा और संस्कार बच्चों को मिलते हैं, वे वैसा ही बनते हैं। नाटक बच्चों की परवरिश को लेकर माता-पिता को सजग रहने और उनके साथ दोस्ताना व्यवहार के साथ-साथ अभिभावक की भूमिका निभाने का संदेश देता है।

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मंच पर शानदार प्रदर्शन

नाटक में बाल कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। प्रमुख भूमिकाओं में अप्रतिम गुप्ता (राजा), कार्तिकेय द्विवेदी (सेनापति), आद्या वर्मा (सेनापति की पत्नी/संत), शोभित साहू (मुख्य सिपाही), आहान खन्ना दास (नाई/सिपाही), आद्विका मिश्रा (कपड़ों का व्यापारी/सूत्रधार), आयुषी अस्थाना (नाई का बेटा/शिष्य), गर्विका गुप्ता (शिष्य/नर्तकी/जौहरी का बेटा), सिया शर्मा (नर्तकी/सूत्रधार), वाणी श्रीवास्तव (अमीर औरत/सिपाही), कृष्णम शर्मा (व्यापारी/संत), नायरा सोमवंशी (छोटा माला/नर्तकी/शिष्य), इदिका सिंह चौहान (माला की माँ) और एकाग्र द्विवेदी (माला) ने शानदार अभिनय किया।

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मंच के पीछे की मेहनत

नाटक का निर्देशन संदीप यादव और प्रीती चौहान ने किया, जबकि नाट्य रूपांतरण प्रीती चौहान ने तैयार किया। संगीत शिवा सिंह, लाइट्स मो. हफ़ीज़, मेकअप शहीर अहमद और वस्त्र विन्यास, सेट व प्रॉपर्टी प्रीती चौहान ने संभाली।

दर्शकों ने खूब सराहा

दर्शकों ने इस हास्य नाटक का भरपूर आनंद लिया। नाटक के समापन के बाद अभिभावकों, निर्देशक संदीप यादव और प्रीती चौहान के बीच बच्चों की परवरिश को लेकर सार्थक चर्चा हुई, जिसमें बच्चों के साथ संतुलित व्यवहार और सही मार्गदर्शन पर जोर दिया गया।

यह नाटक न केवल मनोरंजक था, बल्कि समाज को बच्चों की परवरिश के प्रति जागरूक करने में भी सफल रहा। पीएस3 की यह पहल बच्चों में रंगमंच के प्रति रुचि जगाने और सामाजिक संदेश देने में सराहनीय रही।

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