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उत्तर प्रदेश में MBBS एडमिशन में बड़ा घोटाला: जाली स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रमाण पत्रों से 66 दाखिले

LUCKNOW: उत्तर प्रदेश में एमबीबीएस (MBBS) कोर्स में एडमिशनके लिए बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग (Medical Education) की जांच में पता चला है कि करीब 66 छात्रों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी (Freedom Fighter) आश्रित कोटे के तहत जाली प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल कर एडमिशन हासिल किया। इनमें से कई मामलों में जिलाधिकारी (डीएम) के हस्ताक्षर तक नकली पाए गए हैं। विभाग ने इन सभी एडमिशन को कैंसिल कर दिया है और संबंधित जिलों के डीएम को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि नीट यूजी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में कम अंक आने पर छात्र ऐसे फर्जी तरीकों का सहारा लेते हैं।

घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?

उत्तर प्रदेश में एमबीबीएस (MBBS) की कुल 4442 सीटों में से 2% यानी 79 सीटें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित कोटे के लिए आरक्षित हैं। नीट यूजी (NEET UG) 2025 की पहली काउंसलिंग में 72 छात्रों ने इस कोटे से दाखिला लिया। लेकिन जब कॉलेजों ने दस्तावेजों की जांच की गई, तो कई प्रमाण पत्र संदिग्ध लगे। चिकित्सा शिक्षा विभाग की महानिदेशक किंजल सिंह (IAS Kinjal Singh) ने बताया कि 10 जिलों में ऐसे 66 मामले सामने आए, जहां छात्रों ने फर्जी प्रमाण पत्र जमा किए। इन जिलों में बलिया, मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, आगरा, वाराणसी और अन्य शामिल हैं।

जांच में पता चला कि कई छात्रों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पोते-पोती होने का दावा किया, लेकिन उनके प्रमाण पत्रों पर डीएम के हस्ताक्षर नकली थे। कुछ मामलों में पूरा प्रमाण पत्र ही फर्जी था। विभाग ने सभी जिलों के डीएम को जांच के लिए पत्र भेजा, जिसके बाद फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। महानिदेशक किंजल सिंह ने कहा कि ऐसे छात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि आरक्षण प्रणाली की पवित्रता बनी रहे।

आगरा की साखी ने फर्जी पोती बनकर लिया दाखिला
इस घोटाले का एक प्रमुख उदाहरण आगरा की रहने वाली छात्रा साखी बिस्वास का है। साखी ने नीट यूजी 2025 में 7,58,778वीं रैंक हासिल की थी, जो सामान्य रूप से एमबीबीएस दाखिले के लिए पर्याप्त नहीं थी। लेकिन उसने अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित कोटे का लाभ लेकर फीरोजाबाद के स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में दाखिला पा लिया।

छात्रा ने खुद को स्वर्गीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सरोज रानी गौरीहर की पोती बताते हुए जाली प्रमाण पत्र जमा किया। कॉलेज की जांच समिति को प्रमाण पत्र संदिग्ध लगा, जिसके बाद प्राचार्य डॉ. योगेश गोयल ने इसे आगरा डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी के पास सत्यापन के लिए भेजा। जांच में पाया गया कि प्रमाण पत्र पर डीएम के हस्ताक्षर पूरी तरह नकली थे। नतीजतन, छात्रा का दाखिला रद्द कर दिया गया और आगरा के नई की मंडी थाने में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि कलेक्ट्रेट के एक कर्मचारी की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है और जांच जारी है।

बिजनौर का मामला: दस्तावेज चोरी का बहाना

एक अन्य घटना बिजनौर की है, जहां एक छात्र ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कोटे से एमबीबीएस दाखिले की कोशिश की। महात्मा विदुर स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में पहले चरण की काउंसलिंग के आखिरी दिन छात्र मूल दस्तावेज पेश नहीं कर सका। उसने दावा किया कि उसके दस्तावेज चोरी हो गए हैं। साथ ही, छात्र के परिवार के सदस्य ने बिना बताए दाखिला प्रक्रिया का वीडियो रिकॉर्ड करने की कोशिश की। लखनऊ मेडिकल एजुकेशन बोर्ड को सूचित किया गया, जिसके बाद मूल दस्तावेज न जमा करने के कारण छात्र का दाखिला प्रक्रिया रद्द कर दी गई।

इस सत्र में अब तक 84 छात्रों को एमबीबीएस सीटें आवंटित की जा चुकी हैं।

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि खेल, एनआरआई और अल्पसंख्यक कोटे में भी ऐसे फर्जीवाड़े की संभावना है। हाल ही में मेरठ में 20 छात्रों ने फर्जी अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र (बौद्ध धर्म) से एडमिशन पा लिया था, जिसे जांच के बाद कैंसिल किया गया।

पहले से चल रही जांच

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेजों को दस्तावेजों की सख्त जांच करने के निर्देश दिए हैं। महानिदेशक किंजल सिंह ने कहा कि फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोहों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी एजेंसियां पहले से ही एनआरआई कोटे में 18,000 से ज्यादा फर्जी दाखिलों की जांच कर रही हैं। यह घोटाला नीट परीक्षा की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।

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