अभियंता दिवस पर उपभोक्ता परिषद ने कॉरपोरेशन को दी नसीहत
Lucknow: अभियंता दिवस (15 सितम्बर) के अवसर पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पावर कॉरपोरेशन को विद्युत सुधार के लिए नसीहत दे दी। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश में करीब 3 करोड़ 61 लाख विद्युत उपभोक्ता हैं। विद्युत व्यवस्था संभालने के लिए करीब 31 हजार कर्मचारी हैं। इसमें इंजीनियरों की संख्या सात हजार के लगभग हैं। अभियंताओं की भारी कमी के कारण उपभोक्ता सेवा मानक के अनुरूप नहीं मिल पा रही है। उपभोक्ता परिषद ने मांग की कि निजीकरण को छोडक़र अगर अभियंताओं की भर्ती की जाए तो उपभोक्ता सेवा को आसानी से सुधारा जा सकता है।
कर्मियों के हजारों पद रिक्त
उपभोक्ता परिषद ने बताया कि कई सालों से भर्तियां न होने के कारण वर्तमान में बिजली निगमों में करीब 350 सहायक अभियंता और 350 से 400 अवर अभियंता के पद रिक्त पड़े हैं। राष्ट्रीय मानकों के अनुसार उपभोक्ताओं की संख्या को देखते हुए लगभग 2,000 अभियंताओं की तत्काल भर्ती की आवश्यकता है। अगर दो दशक पूर्व की बात करें तो विभाग में 80 हजार से अधिक विद्युत कर्मी थे और उपभोक्ताओं की संख्या सवा करोड़। प्रदेश में उपभोक्ताओं की गिनती लगातार बढ़ती चली गई मगर उसके सापेक्ष कर्मियों की भर्तियां नहीं हुईं। अलबत्ता कर्मचारी रिटायर जरूर होते चले गए। वर्मा का कहना है कि जब उपभोक्ताओं से आयोग द्वारा तय टैरिफ लिया जा रहा है तो उन्हें उच्च कोटि की सेवा देना निगमों का नैतिक दायित्व है।
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इंजीनियरों की मानसिक स्थिति पर उठे सवाल
उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया कि 1959 में गठित राज्य विद्युत परिषद के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब बड़ी संख्या में अभियंताओं ने बीआरएस लिया हो। मौैजूदा प्रबंधन के रवैये से परेशान होकर पिछले दो वर्षों में दर्जनों अभियंताओं ने मजबूरी में नौकरी छोड़ दी। कई को खुद प्रबंधन ने बर्खास्त कर दिया। परिषद ने सवाल उठाया कि आखिर बिजली निगमों में अभियंताओं की मानसिक स्थिति इतनी खराब क्यों हो रही है? इस पर सरकार को जांच करानी चाहिए।
अच्छा काम करने वालों को मिले प्रोत्साहन
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि निजीकरण के नाम पर अभियंताओं का उत्पीडऩ हो रहा है, जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जो अभियंता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन जो ईमानदारी से काम कर रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। साथ ही यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि उनका किसी भी स्तर पर उत्पीडऩ न हो, तभी उपभोक्ता सेवा बेहतर हो सकेगी।
दलित अभियंताओं के उत्पीडऩ पर लगे लगाम
अभियंता दिवस(15 सितम्बर) के मौके पर पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने देश के पहले इंजीनियर डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद किया। एसोसिएशन ने यूपी में 42 जनपदों के बिजली निजीकरण को तत्काल निरस्त करने और बिजली निगमों में दलित अभियंताओं के उत्पीडऩ पर लगाने के लिए सरकार से मांग की। संगठन के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में कभी भी इतनी बड़ी संख्या में दलित अभियंताओं को कभी निशाना नहीं बनाया गया जितना आज किया जा रहा है। उन्हें निलंबित किया जा रहा है, चार्जशीट दी जा रही है और उनकी किसी प्लेटफार्म पर सुनवाई नहीं हो रही। इस पर सरकार को रोक लगानी चाहिए। प्रदेश भर के अभियंताओं ने कहा कि दलित और पिछड़े वर्ग के अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई तेजी से बढ़ी हैं जो गलत हैं। संगठन के अध्यक्ष आर.पी. केन के साथ बिंदा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, अजय कुमार, प्रभाकर, राम शबद मुकेश बाबू, पूरन चंद और नरेश कुमार ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन यदि दलित और पिछड़े अभियंताओं के खिलाफ की जा रही उत्पीडऩात्मक कार्रवाई नहीं रोकता तो एसोसिएशन संवैधानिक दायरे में रहते हुए अपना संघर्ष तेज करेगा।