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दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं आपके अधूरे सपने

प्रो. डॉ. अनिल नौसरान

ऐसा जरूरी नहीं है कि जिन्दगी में हम जो सपना देखें वह पूरा ही हो। यह अधूरे सपने भले ही हमें निराश कर दें लेकिन कभी-कभी यह दूसरों की जिन्दगी के लिए प्रेरणा भी बन जाते हैं। जो सपने हमारे पूरे नहीं हो सके, उसे अपनों के जीवन में पलते-बढ़ते देखकर भी खुश रहा जा सकता है।

जैसे ही हर किसी का सपना जीवन में कुछ बनने का अवश्य होता है। डॉक्टर, इंजीनियर या अधिकारी बनने जैसे सपनों को पूरा न कर पाने की असफलता अंत नहीं है; यह केवल एक परिवर्तन बिंदु है, जहाँ सपना नई दिशा ले सकता है—अपने बच्चों, भाई-बहनों, पड़ोसियों या समुदाय के किसी भी व्यक्ति को प्रेरित और सहयोग देकर।

सपने परिस्थितियों, भौगोलिक सीमाओं या पृष्ठभूमि से बंधे नहीं होते, वे संभावना और संतुष्टि के बीज होते हैं। जब ईमानदारी से उनका पीछा किया जाता है, तो सपने न केवल स्वप्नद्रष्टा को ऊंचाई देते हैं बल्कि उसके आस-पास के सभी लोगों को भी। यदि कोई व्यक्ति असफलताओं का सामना करता है, तो वही महत्वाकांक्षा दूसरों के सपनों को पोषित करने की प्रेरक शक्ति बन सकती है। चाहे वह बेटियां हों, बेटे हों, भतीजी-भतीजे हों या आस-पड़ोस के लोग।

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सपने जब साझा किए जाते हैं, तो वे सामूहिक शक्ति का स्रोत बन जाते हैं। परिवार, भाई-बहन और गांव सपनों के पनपने और बढऩे की उर्वर भूमि हैं, जहां प्रोत्साहन और बड़ों की बुद्धिमत्ता उनका सहारा बनती है। प्रियजनों के सपनों को समर्थन देना वास्तविक खुशी और गहरी संतुष्टि लाता है, विशेषकर तब जब अपने जीवन में अधूरे रह गए मार्ग किसी और की यात्रा में साकार होते हैं।

सच्ची खुशी अक्सर योगदान से आती है। यदि कोई अपने व्यक्तिगत सपनों को पूरा नहीं कर पाता, तो उन्हीं सपनों को दूसरों के जीवन में प्रज्वलित करने में भी सौंदर्य है। बच्चों, रिश्तेदारों या समुदाय के लोगों की सफलता को देखना स्थायी आनंद और एक ऐसी विरासत देता है, जो किसी एक व्यक्ति से कहीं आगे तक जाती है। यही प्रेरणा का चक्र है, जहां प्रत्येक व्यक्ति की प्रगति पूरे समाज को ऊपर उठाती है।

समर्पण और दृढ़ता सपनों को साकार करने की आधारशिला

समर्पण और दृढ़ता सपनों को साकार करने की आधारशिला हैं। अनेक महान व्यक्तियों ने अनगिनत बाधाओं का सामना किया, लेकिन वे डटे रहे क्योंकि वे जानते थे कि उनकी यात्रा आने वाली पीढय़िों को प्रेरित करेगी। यदि व्यक्तिगत योजनाएं असफल भी हो जाएं, तो भी उत्साह और सहयोग को आगे बढ़ाना सुनिश्चित करता है कि सपने जीवित रहें।

सपना देखना अपने लिए ही नहीं बल्कि परिवार, समुदाय और राष्ट्र के लिए एक बेहतर भविष्य की कल्पना करना है। जब हम अपने आस-पास के लोगों के सपनों को पूरा करने में सहयोग करते हैं, तो हम प्रोत्साहन, नेतृत्व और खुशी का एक स्थायी नेटवर्क रचते हैं। इसलिए बड़े सपने देखिए, दूसरों को उदारता से सहयोग दीजिए, और साझा सपनों का यह चक्र चलता रहे, जो न केवल अपने हृदय को संतोष और खुशी देगा बल्कि आने वाली पीढिय़ों को भी।

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लेखक प्रो. डॉ. अनिल नौसरान संस्थापक – यूनाइटेड फ्रंट ऑफ डॉक्टर्स

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