Lucknow: वर्टिकल व्यवस्था यूपी की राजधानी लखनऊ के चारों जोन में लागू करने का आदेश हो चुका है। इस नई व्यवस्था के आदेश से नाराज उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ ने आन्दोलन की चेतावनी दी है। संघ का कहना है कि नई व्यवस्था में पद घटेंगे और 3613 संविदा कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे। संघ ने एलान किया कि पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन अगर अपने आदेश को वापस नहीं लेता है तो 1 नवम्बर से विरोध प्रदर्शन और असहयोग आंदोलन शुरू किया जाएगा।
संघ के अध्यक्ष मोहम्मद खालिद और महामंत्री देवेन्द्र कुमार पाण्डेय के नेतृत्व में रविवार को संघ की बैठक हुई। बैठक में पदाधिकारियों ने वर्टिकल व्यवस्था को बिजली व्यवस्था व राजस्व वसूली को ध्वस्त करने वाला कदम बताया। खालिद ने बताया कि मौजूदा समय में लेसा में 4620 आउटसोर्स कर्मचारी काम कर रहे हैं। नई वर्टिकल व्यवस्था लागू होने से सभी जोन में 1007 कर्मियों की ही जरूरत बताई जा रही है। अगर ऐसा होता है तो लगभग 3613 आउटसोर्स कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे।
संघ के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि वर्तमान में लखनऊ की विद्युत व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है। इसके बावजूद प्रबंधन द्वारा वर्टिकल व्यवस्था लागू किया जा रहा है। ऐसा करने से स्थिति में सुधार के बजाय उसमें समस्याएं खड़ी हो जाएंगी। संघ के प्रदेश महामंत्री देवेंद्र कुमार पाण्डेय का कहना है कि लखनऊ के 154 सब स्टेशनों पर 33केवी की करीब 300 लाइनें हैं। 11केवी की लगभग 1500 लाइनें हैं। इन लाइन से हजारों ट्रांसफार्मरों का संचालन किया जा रहा है जिसका जिम्मा आउटसोर्स कर्मचारियों पर है।
कहा कि नई व्यवस्था के लागू होने के बाद यह जिम्मेदारी अब केवल 1007 कर्मचारियों पर डालना असंभव और अव्यावहारिक है, जिससे न केवल बिजली आपूर्ति लडख़ड़ा सकती है। इसके अलावा राजस्व वसूली पर भी असर पड़ेगा। प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेन्द्र पांडे ने कहा कि जहां अभी प्रत्येक 33/11 केवी उपकेंद्र पर 30 कर्मचारी तैनात हैं, वहीं वर्टिकल व्यवस्था में प्रति उपकेंद्र केवल 6.5 कर्मचारी रखे जाएंगे। इससे जनपद की विद्युत व्यवस्था चरमरा जाएगी। बैठक में सुरेन्द्र बाजपेई, अरुण यादव, रंजित कन्नौजिया, सुभम वर्मा, राकेश पाठक, मुन्ना और अवधेश समेत अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित रहे। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद खालिद ने स्पष्ट कहा कि यदि वर्टिकल व्यवस्था का निर्णय वापस नहीं लिया गया तो संघ असहयोग आंदोलन शुरू करेगा।
