रायबरेली के कस्तूरबा विद्यालय का स्टॉफ भी आनलाइन हाजिरी के विरोध में
ऑनलाइन हाजिरी के खिलाफ कस्तूरबा विद्यालय के स्टॉफ ने भी सौंपा ज्ञापन, नेटवर्क व अन्य सुविधा न होने की वजह से स्टॉफ परेशान
रायबरेली। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के स्टॉफ ने भी ऑनलाइन हाजिरी के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। जिलाधिकारी को ज्ञापन देने आए स्टॉफ का कहना है कि नेटवर्क तक की बेहतर व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा रात्रि में नौ बजे बच्चों की हाजिरी लेने का कोई तुक नहीं है।
यहीं नहीं, ऐप की तकनीकी दिक्कत की वजह से अब दिनभर स्टॉफ बच्चों की हाजिरी में ही परेशान रहता है। कस्तूरबा विद्यालय के स्टॉफ ने कहा कि यह पूरी तरह से हम लोगों के लिए सीमित संसाधनों में सही नहीं है। ऐसे में यह व्यवस्था अभी बेहतर तरीके लागू न की जाएं।
कस्तूरबा गांधी शिक्षक व शिक्षणेत्तर संघ की जिलाध्यक्ष गीतांजलि ने बताया कि हम लोगों ने 23 जुलाई से ऑनलाइन हाजिरी नहीं देने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि समिति संसाधनों और बिना टैबलेट के कर्मचारी हाजिरी दे रहा है। कर्मचारी को बहुत ही दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
प्रेरणा पोर्टल अब 19.0 आ गया है लेकिन अभी भी इसमें तकनीकी कमियां रह गई है। बच्चों की पांच व स्टॉफ की तीन बार हाजिरी भेजना किसी एक चुनौती से कम नहीं है। महामंत्री शिल्पी सिंह ने कहा कि वर्तमान में बच्चों की रात में नौ बजे उपस्थिति लेना भी एक चुनौती है। बच्चे रात्रि में 8 बजे तक ही बिस्तर पर चले जाते हैं और ऐसे में उन्हें बार-बार उठाना अनुचित होता है।
उपाध्यक्ष नीलम वर्मा ने बताया कि कस्तूरबा विद्यालय सिर्फ विद्यालय नहीं बल्कि एक मिशन है। ऐसे में यहां पर बच्चों के साथ में जबरदस्ती करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मिशन में शिक्षकों के साथ में रात्रि में बालिकाओं के साथ में निवास करके उनमें ऐसे संस्कार देना है जो कि छात्राओं को ज्ञान, निष्ठा और बेहतर संस्कार देकर बेहतर समाज निर्माण बनाने में सहयोग कर सकें।
अब वर्तमान में ऐसी ऑनलाइन व्यवस्था इतनी कठिन हैं कि स्टॉफ से लेकर बच्चा उसी में परेशान हैं, जिससे शिक्षा में गिरावट आ रही है।
ज्ञापन देने वालों में अंजना त्रिपाठी, नीता पांडेय, शांति सिंह, रणविजय पाल, शैलजा वर्मा, प्रीति मौर्य, अनिल वर्मा, अर्चना गोस्वामी, मीना सिंह, आशाराम, सावित्री यादव, शुभा त्रिपाठी, निशारानी यादव, जयप्रिया पाल, सविता, रीता, शीला आदि स्टॉफ मौजूद रहा।