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उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण के खिलाफ 02 जुलाई को विरोध प्रदर्शन

LUCKNOW: उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ पिछले सात महीनों से चल रहा बिजली कर्मचारियों का आंदोलन अब राष्ट्रीय स्तर पर तूल पकड़ रहा है। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर 02 जुलाई को देशभर के सभी जनपदों और परियोजनाओं में व्यापक विरोध प्रदर्शन होंगे।

उत्तर प्रदेश के करीब एक लाख बिजली कर्मचारी इस आंदोलन में शामिल होंगे। कानपुर, केस्को, और पनकी ताप बिजली घर में मंगलवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और जूनियर इंजीनियर्स संगठन के केंद्रीय पदाधिकारियों ने आम सभाएं आयोजित कर निजीकरण के टेंडर होने पर अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और जेल भरो आंदोलन की घोषणा की।

राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन, 27 लाख कर्मचारियों का आह्वान

आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे, आल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आर.के. त्रिवेदी, और अन्य राष्ट्रीय संगठनों के नेताओं ने बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियर्स, और अभियंताओं से 02 जुलाई को उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों में निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली कर्मचारियों का दमन किया, तो देशभर के बिजली कर्मचारी व्यापक आंदोलन शुरू करेंगे।

09 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल

निजीकरण की नीतियों के खिलाफ बिजली कर्मचारियों की राष्ट्रीय समन्वय समिति ने 09 जुलाई को एक दिन की राष्ट्रव्यापी सांकेतिक हड़ताल का ऐलान किया है। इस हड़ताल की मुख्य मांगों में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के निर्णय को रद्द करना शामिल है।

प्रमुख शहरों में विरोध सभाएं

आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, झांसी, बरेली, अयोध्या, सहारनपुर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, और अन्य शहरों में विरोध सभाएं आयोजित की गईं। इन सभाओं में कर्मचारियों ने निजीकरण को उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के हितों के खिलाफ बताया और सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की।

कर्मचारियों की चेतावनी

संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि निजीकरण का टेंडर होने पर तत्काल अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू होगा और जेल भरो आंदोलन को तेज किया जाएगा। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि निजीकरण से बिजली की दरें बढ़ेंगी, उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ेगा, और कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ेंगी। यह आंदोलन उत्तर प्रदेश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है, क्योंकि बिजली कर्मचारियों का यह गुस्सा अब राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन पा रहा है।

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