प्रदेश में अब तक लग चुके 40 लाख से ज्यादा स्मार्ट मीटर
Lucknow: उत्तर प्रदेश बिजली व्यवस्था सुधार के दावे के साथ सरकारी विभागों में 45,966 स्मार्ट मीटर लगाए गए थे। अब सरकारी कार्यालयों में लगे स्मार्ट मीटरों में 37,614 को प्रीपेड मोड में बदल भी दिया गया है। कारपोरेशन अध्यक्ष आशीष गोयल ने बताया कि प्रदेश में 40 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं।
अध्यक्ष ने बताया कि उपभोक्ता यूपीपीसीएल स्मार्ट कंज्यूमर ऐप (UPPCL Smart Consumer App) पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर में खर्च होने वाली अपनी प्रति घंटे की खपत देख सकते हैं। यह तय कर सकते हैं कि कौन-सा उपकरण ज्यादा बिजली खर्च कर रहा है और उसी हिसाब से खपत को नियंत्रित कर बिजली बिल कम कर सकते हैं। उपभोक्ता घर बैठे ही रिचार्ज करने की सुविधा भी पा रहे हैं। शक्ति भवन में शनिवार को हुई समीक्षा बैठक में आशीष गोयल ने मीटर लगाने वाली कंपनी जीनस को कार्य की गति तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए प्रदेश में लगभग 2 करोड़ 73 लाख मीटर लगाने का लक्ष्य है।
इसे भी पढ़ें: इसे भी पढ़ें: टीबी से लड़ने के लिए दवा के साथ पोषण भी जरूरी
समीक्षा के दौरान बताया गया कि स्मार्ट मीटर को लेकर जो भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं जैसे ये तेज चलते हैं, अधिक खपत दिखाते हैं और बिल बढ़ा देते हैं वो पूरी तरह गलत हैं। 20 अगस्त को चलाए गए विशेष अभियान में सभी स्मार्ट मीटर सही खपत दिखाते पाए गए। स्थापित स्मार्ट मीटरों के साथ 5′ चेक मीटर लगाए गए हैं और अब तक करीब दो लाख चेक मीटर भी लगाए जा चुके हैं। इनसे की गई जांच में भी सभी मीटर सटीक पाए गए। श्री गोयल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि समय-समय पर अभियान चलाकर स्मार्ट मीटर और चेक मीटर की जांच कराई जाए और रिपोर्ट उपभोक्ताओं से साझा की जाए, जिससे उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़े। साथ ही उन्होंने कहा कि अधिकारी फील्ड में जाकर उपभोक्ताओं से फीडबैक लें और सकारात्मक संदेश जनता तक संचार माध्यमों से पहुंचाएं।
इसे भी पढ़ें: यूपी में लंपी स्किन डिजीज (LSD) से बचाव के लिए पशुओं को लगाई जाएंगी 60 हजार वैक्सीन
ऑनलाइन हो जाती है मीटर की रीडिंग
अध्यक्ष अशीष गोयल ने बताया कि अभी तक प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के घर इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगे थे। इनमें रीडिंग और बिलिंग का कार्य मीटर रीडर करते हैं। मीटर रीडरों को घर-घर जाकर रीडिंग लेने जाना पड़ता था। स्मार्ट मीटर में ऐसा नहीं होता यह कार्य ऑनलाइन हो जाते हैं। स्मार्ट मीटर स्थापित होने के उपरांत मीटर रीडिंग में मानवीय हस्तक्षेप पूर्णत: समाप्त हो जायेगा। मीटर रीडिंग ऑटोमेटिक होगा। श्री गोयल ने दावा किया कि लगाये जा रहे स्मार्ट मीटर और पहले से घरों में जो इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगे हुये हैं उनमें खपत मापन की तकनीक में कोई अन्तर नही हैै। दोनों एक समान खपत दर्ज करते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि मीटर में रीडिंग और बिलिंग का कार्य स्मार्ट मीटर में ऑनलाइन हो जाता है।
झूठ बोल रहा पावर कारपोरेशन प्रबंधन: उपभोक्ता परिषद
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि स्मार्ट मीटर को लेकर पावर कारपोरेशन प्रबंधन लगातार झूठे दावे कर रहा है। उपभोक्ताओं को भ्रमित किया जा रहा है। वर्मा ने कहा कि किसी भी विद्युत उपभोक्ता के परिसर पर यदि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग गया है। यदि वह प्रीपेड मोड में काम कर रहा है और उसकी मंथली रीडिंग पुराने मीटर के समान ही आ रही है यानि बराबर आ रही है तो उपभोक्ता का बिजली बिल 2 प्रतिशत कम हो जाना चाहिए। इसकी प्रीपेड मोड में जाने पर बिल में 2′ रिबेट मिलती है लेकिन आज तक प्रदेश में कोई भी विद्युत उपभोक्ता ऐसा सामने नहीं आया जो यह बता सके स्मार्ट प्री पेड मीटर लगाने के बाद उसका बिजली का बिल कम हो गया है। वर्मा ने कहा कि कारपोरेशन अधिकारियों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि ऐसा क्यों है।