Lucknow: उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग (UPPCL) के निजीकरण (Privatization) को लेकर विरोध अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। दलित और पिछड़े वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों के संगठन पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने जुलाई माह में सभी विद्युत वितरण कंपनियों में “निजीकरण हटाओ, आरक्षण बचाओ” सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा की है। संगठन ने साफ कहा है कि इस सम्मेलन में निजीकरण के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया जाएगा।
एसोसिएशन के अनुसार प्रदेश के 42 जनपदों में निजीकरण की जो प्रक्रिया चलाई जा रही है, उसका मुख्य उद्देश्य आरक्षण के 16,000 पदों को समाप्त करना है। यह बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा स्थापित संवैधानिक आरक्षण व्यवस्था पर सीधा हमला है, जिसे संगठन किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगा।
पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि उन्होंने प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्रियों, कई कैबिनेट मंत्रियों और ऊर्जा मंत्री से इस मुद्दे पर कई बार गुहार लगाई, लेकिन किसी भी स्तर पर इस पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली। संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि ऊर्जा मंत्री की चुप्पी यह दर्शाती है कि सरकार को बाबा साहब की आरक्षण व्यवस्था से कोई सरोकार नहीं है। ऐसे में अब आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
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एसोसिएशन ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने 1934 में स्पष्ट कहा था कि “बिजली हमेशा सरकारी क्षेत्र में रहनी चाहिए”, लेकिन वर्तमान में सरकार निजीकरण को बढ़ावा देकर दलित और पिछड़े वर्ग के अधिकारों का हनन कर रही है।
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सम्मेलन की तिथियां और स्थान जल्द घोषित किए जाएंगे, जिसमें कंपनीवार आयोजन की योजना है। आंदोलन के निर्णय की घोषणा करते हुए संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों – अध्यक्ष आर. पी. केन, कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, संगठन सचिव बिंद्रा प्रसाद, ट्रांसमिशन अध्यक्ष सुशील कुमार वर्मा, संयुक्त सचिव आर. के. राव, ए. के. प्रभाकर, राज कपूर, मीडिया प्रभारी रमेश कुमार, विकासदीप, राकेश आर्य – ने संयुक्त बयान में कहा कि अब दलित और पिछड़े वर्ग के कर्मचारी अपनी संवैधानिक हिस्सेदारी को छीनने नहीं देंगे।
इस बीच पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने साफ कहा है कि अगर सरकार अब भी नहीं चेती, तो यह आंदोलन राज्यव्यापी जनांदोलन में तब्दील होगा।