जरूरी नहीं है जीवनभर लेें थायरॉइड की दवा

Lucknow: हर 10 में से एक व्यक्ति थायरॉइड (Thyroid) की समस्या से जूझ रहा है। इससे एक बार ग्रसित होने पर लोग ताउम्र दवा पर निर्भर रहते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो कुछ जरूरी जांचों के बाद डॉॅक्टर की सलाह पर दवा बंद की जा सकती है।
विश्व थायरॉयड दिवस (World Thyroid Day) से पूर्व बीमारी के बारे में संजय गांधी पीजीआई के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रो. सुभाष यादव (Subhash Yadav) ने बताया कि थायरॉयड बहुत की कॉमन बीमारी है लेकिन जरूरी नहीं कि सभी मरीजों को दवा खानी पड़े। शुरूआती जांच में यदि टीएसएच लेवल बहुत ज्यादा नहीं है तो मरीज खानपान में बदलाव के जरिए दवा से बच सकता है। वहीं यदि कोई मरीज एक बार दवा शुरू कर देता है तो उसे दवा बंद करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना होता है।
डा. यादव का कहना है कि अमूमन थायरॉयड होने पर टी3,टी4 और टीएसएच (T3, T4, TSH) जांच करायी जाती है। टीएसएच लेवल बढ़ा होने पर डॉॅक्टर दवा की सलाह देते हैं। दवा लेने के बाद यदि काफी समय तक किसी का टीएसएच लेवल कन्ट्रोल हैं और वह दवा छोडऩा चाहता है, तो इसके लिए उसे टीपीओ (TPO ) यानी थायरॉयड पेरऑक्सिडेज एंटीबॉडी टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। यह एक ब्लड टेस्ट है जो यह जांचता है कि शरीर में थायरॉयड ग्रंथि पर हमला करने वाली एंटीबॉडी मौजूद हैं या नहीं। अगर टेस्ट नेगेटिव आता है, तो इसका मतलब है कि शरीर में ऑटोइम्यून एंटीबॉडीज नहीं बन रही हैं। ऐसे में दवा बंद करने की सलाह दी जा सकती है, लेकिन सिर्फ टीपीओ टेस्ट नेगेटिव आने पर थायरॉयड की दवाएं बंद करना सही नहीं है।
दवा बंद करने से पहले टीएसएच लेवल फिर जांचा जाता है। इसके बाद मरीज की दवा की डोज धीरे-धीरे कम करते हुए कुछ माह बाद बाद फिर से टीपीओ व टी3,टी4 और टीएसएच जांचे करायी जाती है। यदि सारी जांचें नॉमर्ल होती है तो मरीज को दवा बंद करने की सलाह दी जा सकती है। वहीं कई बार टीपीओ नेगेटिव होने के बावजूद व्यक्ति को हाइपोथायरॉयडिज्म होता है, जिसके लिए दवा जरूरी होती है।
डा. यादव का कहना है कि अगर टीपीओ रिपोर्ट नेगेटिव आई है, तो बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं न छोड़ें। सही इलाज के लिए टी3,टी4 और टीएसएच समेत सभी जरूरी जांचें कराने के बाद डाक्टर की सलाह पर ही दवा बंद करें।
दवा बंद करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
– नियमित जांच में रिपोर्ट सामान्य आ रही हो
– डॉक्टर द्वारा तय की गई अवधि तक दवा लेने के बाद शरीर में हार्मोन का संतुलन बना रहा हो
– लक्षणों में पूरी तरह सुधार हो गया हो
-कोई अन्य गम्भीर बीमारी न हो
– दवा कभी भी अपनी मर्जी से बंद न करें। इससे हार्मोनल असंतुलन हो सकता है