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बिजली सब्सिडी में यूपी देश में पांचवें स्थान पर, फिर भी निजीकरण की तैयारी क्यों?

Lucknow: उत्तर प्रदेश सरकार और पावर कॉरपोरेशन (UPPCL) यह दावा करते हैं कि राज्य (Uttar Pradesh)में बिजली सब्सिडी (Electric Subsidy) पर होने वाला खर्च बेतहाशा बढ़ चुका है, और यही घाटा निजीकरण (Privatization) की ओर कदम बढ़ाने का मुख्य कारण है। लेकिन जब देशभर के आंकड़ों पर नजर डालते हैं तो यह दावा अधूरा और भ्रामक लगता है।

बिजली सब्सिडी देने वाले राज्यों की सूची में यूपी का स्थान पांचवां है, जबकि कर्नाटक, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्य इससे कहीं अधिक सब्सिडी दे रहे हैं। इसके बावजूद, न तो वहां घाटे का ऐसा शोर है, न ही निजीकरण की ऐसी हड़बड़ी। सवाल यह है कि क्या घाटे के नाम पर बिजली कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी किसी और मकसद से की जा रही है?

राज्य सरकारें राजनैतिक लाभ पाने के लिए किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को टैरिफ सब्सिडी देती हैं। इससे इन श्रेणी के उपभोक्ताओं की बिजली दर कम हो जाती हैं। सब्सिडी के रूप में यूपी में सालाना करीब 16479 करोड़ रुपया खर्च किया जाता है। कारपोरेशन प्रबंधन इस खर्च को घाटे के रूप में पेश कर रहा है।

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प्रबंधन की मानें तो कागजों पर पावर कारपोरेशन (Power Corporation) का घाटा 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपये है। इस घाटे का हवाला देकर दक्षिणांचल और पूर्वांचल के 42 जिलों को निजी घरानों (Private Companies) को सौंपने की प्रक्रिया शुरू की गई है। कॉरपोरेशन (UPPCL) का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार जो टैरिफ सब्सिडी दे रही है वह बहुत ज्यादा है।

सरकार के लिए बिजली कम्पनियों का घाटा वहन कर पाना मुश्किल होता जा रहा है। देश में जो सरकार राजकीय सब्सिडी टैरिफ के मद में वर्ष 2023- 24 में दे रही हैं वह लगभग 2 लाख 10784 करोड़ रुपये है। देश में 5 ऐसे राज्य जो अपने उपभोक्ताओं की बिजली दरें कम करने के लिए सबसे ज्यादा सब्सिडी देते हैं उसमें यूपी का स्थान पांचवें नम्बर है। साल 2023-24 में दी गई सब्सिडी पर नजर डालें तो कारपोरेशन के बयान की हकीकत का पता चल जाएगा।

क्रमांकराज्यटैरिफ सब्सिडी (वर्ष 2023-24)
1राजस्थान₹27,794 करोड़
2कर्नाटक₹27,719 करोड़
3मध्य प्रदेश₹23,635 करोड़
4पंजाब₹17,631 करोड़
5उत्तर प्रदेश₹16,479 करोड़

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बिजली कम्पनियों को बेचने की साजिश

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (UPVUP) के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि यूपी में बिजली कम्पनियों को निजी घरानों को बेचने की साजिश चल रही है। ज्यादातर राज्य अपने उपभोक्ताओं की बिजली दर कम करने के लिए बड़े पैमाने पर राजकीय टैरिफ सब्सिडी देते हैं। अगर उत्तर प्रदेश सरकार दे रही है तो इसमें अलग क्या है। कहा कि राज्य सरकार सब्सिडी तभी देती है जब वह उसका पॉलिटिकल लाभ लेती है।

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