UP

UPPCL: 43,454 करोड़ के सरकारी खर्च पर सिस्टम सुधार के बाद बिजली कंपनियों को बेचने की तैयारी? CBI जांच की उठी मांग

Lucknow: प्रदेश की बिजली कम्पनियों ((DISCOM)) के सुधार पर (RDSS) के करीब 43,454 करोड़ खर्च किए गए हैं। सरकारी धन से इतना बड़ा सिस्टम दुरस्त करने के लिए पूर्वांचल और दक्षिणांचल को निजी घराने को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि निजीकरण की साजिश का खुलासा करने के लिए सीबीआई (CBI) से जांच कराई जानी चाहिए।

अवधेश वर्मा ने राष्ट्रपति (President) और प्रधानमंत्री (Prime Minister) को पत्र लिखकर यूपी में चल रही निजीकरण (Privatization) की प्रक्रिया की जांच कराने की मांग की है। उपभोक्ता परिषद ने पीएमओ को भेजे शिकायती प्रत्र में कहा कि देश का यह पहला मामला जहां पर सरकारी धन लगाकर सिस्टम को मजबूत बनाके उसे देश के बड़े निजी घरानों को बेचने की साजिश चल रही है। वर्मा का कहना है कि भारत सरकार बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने और उपभोक्ताओं को बेहतर विद्युत आपूर्ति देने के लिए पूरे देश में 303758 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।

इसका 15 प्रतिशत अंश केवल उत्तर प्रदेश में लगभग 43454 करोड़ रुपये खर्च किया जा रहा है। इस धनराशि से होने वाने सुधार कार्यों के बाद यूपी की बिजली कंपनियां स्वत आत्मनिर्भर बनकर विद्युत आपूर्ति करेंगी। बिजली कंपनियों का घाटा भी खत्म हो जाएगा। एटीएण्डसी हानियां 12 से 15 प्रतिशत पर आ जाएंगी। इसी बीच पावर कॉरपोरेशन के कुछ नौकरशाह (Bureaucrat) इन बिजली कंपनियों का 51 फीसदी शेयर निजी घरानों को बेचने की फिराक में हैं। इससे ऊर्जा निगमों पर पूरा मालिकाना हक निजी घरानों का हो जाएगा।

सीबीआई से कराई जाए घोटाले की जांच
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष का कहना है कि सरकारी धन का उपयोग करके निजी घरानो को उपकृत करने की साजिश चल रही है। यह एक बड़ा घोटाला है। वर्मा ने राष्टï्रपति और प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में मांग की कि यूपी में चल रही निजीकरण की इस प्रक्रिया की सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए। प्रदेश के 42 जनपदों को निजी क्षेत्र में दिए जाने की साजिश का खुलासा होना चाहिए। उनका कहना है कि जब बिजली कंपनियों को बेचना ही था तो सरकारी कोष से करोड़ों रुपये खर्च क्यों किए गए हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button