WHO Global Summit 2025: भारत में सजेगा वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा का मंच, 100 से अधिक देश होंगे शामिल

LUCKNOW: भारत एक बार फिर दुनिया को स्वस्थ जीवन का मार्ग दिखाने के लिए तैयार है। आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के संयुक्त तत्वावधान में ‘दूसरे WHO ग्लोबल समिट ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन’ (2nd WHO Global Summit on Traditional Medicine) की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। यह भव्य आयोजन 17 से 19 दिसंबर 2025 के बीच नई दिल्ली के प्रतिष्ठित भारत मंडपम में होगा।
लखनऊ स्थित सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन (CRIUM) ने इस ऐतिहासिक आयोजन को लेकर एक विशेष प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी है।
संतुलन की पुनर्स्थापना (Restoring Balance)
इस वर्ष के समिट का मुख्य विषय (Theme) “Restoring Balance: The Science and Practice of Health and Well-being” यानी “संतुलन की पुनर्स्थापना: स्वास्थ्य एवं कल्याण का विज्ञान और व्यवहार” रखा गया है। यह थीम आधुनिक विज्ञान और सदियों पुरानी चिकित्सा पद्धतियों के बीच सेतु का काम करेगी।
CRIUM, लखनऊ के उप-निदेशक ने मीडिया को संबोधित करते हुए गर्व जताया कि 2023 में गुजरात में हुए पहले सफल सम्मेलन के बाद, भारत को दोबारा इस वैश्विक आयोजन की मेजबानी मिली है। उन्होंने बताया कि यह समिट पारंपरिक चिकित्सा को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल करने के लिए एक रोडमैप तैयार करेगा।
समिट में 100 से अधिक देशों के मंत्री, नीति-निर्माता, वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, शोधकर्ता, उद्योग जगत के प्रतिनिधि और पारंपरिक चिकित्सा विशेषज्ञ भाग लेंगे। यह सम्मेलन पारंपरिक, पूरक, एकीकृत और स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में वैज्ञानिक आधार पर शामिल करने के लिए आने वाले दशक के रोडमैप को दिशा देगा।
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100 से अधिक देशों का महासंगम
इस महासम्मेलन का दायरा बेहद व्यापक होगा। इसमें शामिल होने के लिए:
- 100 से अधिक देशों के मंत्री और नीति-निर्माता।
- वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और वैज्ञानिक।
- शोधकर्ता और उद्योग जगत के दिग्गज।
- पारंपरिक चिकित्सा के जानकार एक मंच पर आएंगे।
इसका उद्देश्य आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी आयुष प्रणालियों को वैज्ञानिक कसौटी पर परखकर वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों (National Health Systems) का हिस्सा बनाना है।
अश्वगंधा पर होगा विशेष फोकस
आयुष मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव ने जानकारी दी है कि समिट के दौरान अश्वगंधा (Ashwagandha) पर एक विशेष ‘साइड इवेंट’ आयोजित किया जाएगा। इसमें अश्वगंधा की:
- वैज्ञानिक उपयोगिता और शोध।
- वैश्विक स्तर पर बढ़ती स्वीकृति।
- सुरक्षा परीक्षण (Safety Trials)।
- उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के निर्माण पर चर्चा होगी।
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तकनीक और परंपरा का संगम
समिट का फोकस केवल जड़ी-बूटियों तक सीमित नहीं होगा, बल्कि इसमें डिजिटल हेल्थ (Digital Health) और जैव-विविधता संरक्षण (Biodiversity Conservation) जैसे आधुनिक विषयों को भी प्रमुखता दी जाएगी। जामनगर (गुजरात) में स्थापित ‘WHO ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर’ इस दिशा में भारत और WHO की साझेदारी का एक सशक्त उदाहरण है।
आयुष मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव ने नई दिल्ली में आयोजित मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि समिट के दौरान अश्वगंधा पर विशेष साइड इवेंट आयोजित होगा। इसमें इसकी वैज्ञानिक उपयोगिता, वैश्विक स्वीकृति, सुरक्षा परीक्षण तथा इसके उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों पर चर्चा होगी।
प्रेस वार्ता के दौरान CRIUM के अधिकारियों ने बताया कि यूनानी चिकित्सा के क्षेत्र में लखनऊ केंद्र द्वारा किए जा रहे शोध और नवाचार को भी वैश्विक पटल पर रखा जाएगा।
संभावना जताई जा रही है कि भारत के प्रधानमंत्री इस समिट के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हो सकते हैं। इस आयोजन से निकलने वाले निष्कर्ष भविष्य की स्वास्थ्य नीतियों को अधिक समावेशी, समग्र और टिकाऊ बनाने में मदद करेंगे।
आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी आयुष प्रणालियाँ सदियों से मानव स्वास्थ्य को दिशा देती आई हैं। भारत-WHO साझेदारी के रूप में गुजरात स्थित जमनगर में स्थापित WHO ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर इस विश्वास को और मजबूत करता है।




