Lucknow: स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ ही नया बिजली कनेक्शन मिलेगा। यह आदेश अब तूल पकड़ रहा है। विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ने इस बारे में पावर कॉरपोरेशन को नोटिस जारी किया है। आयोग ने नोटिस में कहा है कि नये कनेक्शन पर स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं उसके जो दाम उपभोक्ताओं से वसूले जा रहे हैं उसकी मंजूरी आयोग ने दी ही नहीं। इसलिए क्यों न पावर कॉरपोरेशन के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए। आयोग ने कॉरपोरेशन से 15 दिनों के भीतर मामले में जवाब मांगा है।
ज्ञात हो कि पावर कॉरपोरेशन (UPPCL) प्रबंध ने 9 सितंबर को आदेश जारी कर यूपी में दिए जाने वाले नए बिजली कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य कर दिया था। इसके लिए उपभोक्ताओं से 6016 रुपये वसूले जा रहे हैं। प्रकरण में खास बात यह है कि नियामक आयोग ने इन मीटरों के लिए कोई कीमत कभी तय ही नहीं की। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य किए जाने और बिना आयोग की अनुमति के मीटर के दाम वसूले जाने के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। आयोग ने याचिका को स्वीकार करते हुए पावर कॉरपोरेशन को नोटिस जारी किया है।
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आयोग ने एमडी पावर कॉरपारेशन से पूछा कि नये कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य करके गैर स्मार्ट प्रीपेड मीटर (आईएस-15884) की कीमत को आधार बनाकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर (आईएस-16444) की कीमत स्वत: कैसे तय कर दी गई। उपभोक्ताओं से 6016 रुपये की नियम विरुद्ध वसूली की जा रही है। यह कॉस्ट डाटा बुक का उल्लंघन है। इसलिए क्यों न विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत इस अवहेलना के लिए अवमानना की कार्रवाई की जाए? आयोग ने यूपीपीसीएल से 15 दिन में जवाब मांगा है। पिछली 9 सितंबर को जारी आदेश के मामले में अगर अवमानना सिद्ध होती है तो एमडी पीसीएल पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
वापस करने पड़ सकते हैं 41 करोड़
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर के दाम के रूप में कारपोरेशन ने अब तक 41 करोड़ रुपये जमा कराए हैं। अगर अवमानना का मामला सिद्ध हो गया तो विभाग को यह रकम वापस करनी पड़ सकती है। वर्मा के मुताबिक 11 सितंबर से 18 अक्तूबर तक का झटपट पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक 2,28,839 उपभोक्ताओं ने कनेक्शन के लिए आवेदन किया था। 69,219 उपभोक्ताओं को कनेक्शन जारी किए गए। 6016 रुपये प्रति मीटर की वसूली के मुताबिक यह रकम लगभग 41 करोड़ होगी। उपभोक्ता परिषद इस रकम को वापस करवाने के लिए सुनवाई में प्रस्ताव रखेगा। उन्होंने यह भी कहा कि विद्युत अधिनियम के मुताबिक प्रीपेड या पोस्टपेड मीटर चुनने का विकल्प उपभोक्ता का है।
