परमाणु चिकित्सा (Nuclear Medicine) प्रोफेशनल्स की परीक्षा NMTCT-2025 के लिए न्याय की मांग ।
NEW DELHI: भारत के परमाणु चिकित्सा (Nuclear Medicine) प्रोफेशनल्स की लंबे समय से चली आ रही चिंताएँ अब दिल्ली उच्च न्यायालय पहुँच गई हैं। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, “परमाणु चिकित्सा बनाम भारत संघ” शीर्षक वाले मामले की सुनवाई बुधवार को मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ के समक्ष हुई।
यह याचिका भारतीय परमाणु चिकित्सा (Nuclear Medicine) भौतिक विज्ञानी संघ द्वारा दायर की गई है, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता हर्ष सिंघल, अधिवक्ता कुणाल तनेजा, उत्कर्ष सिंघल और मुक्ता अवनीश ने किया। भारत संघ सहित प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व केंद्र सरकार की स्थायी वकील राधिका विश्वजीत दुबे ने किया, जिनकी सहायता गुरलीन कौर वरैच और कृतार्थ उपाध्याय ने की।
याचिकाकर्ताओं ने परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) और संबंधित संस्थानों के तहत परमाणु चिकित्सा (Nuclear Medicine) प्रौद्योगिकीविद् परीक्षा के संचालन, मान्यता और नियामक ढांचे को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। यह मामला भारत भर में योग्य परमाणु चिकित्सा पेशेवरों के लिए प्रमाणन और लाइसेंसिंग प्रक्रिया में कथित विसंगतियों और समानता के अभाव को उजागर करता है।
वकीलों की सुनवाई के बाद, दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रतिवादियों को एक नोटिस जारी किया, जिसका जवाब 24 दिसंबर, 2025 तक देना है। भारत संघ को अगली सुनवाई की तारीख से पहले अपना जवाब देने को कहा गया है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले के परमाणु चिकित्सा प्रौद्योगिकीविदों और भौतिकविदों पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं, जो देश भर में डायग्नोस्टिक इमेजिंग और कैंसर के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये पेशेवर लंबे समय से स्पष्ट दिशानिर्देश, परीक्षाओं के मानकीकरण और एईआरबी मानदंडों के अनुसार मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों की मान्यता की मांग कर रहे हैं।
मीडिया प्रतिनिधियों से बात करते हुए, परमाणु चिकित्सा (Nuclear Medicine) समुदाय के सदस्यों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह केवल एक पेशेवर विवाद नहीं है, बल्कि न्याय, समान मानकों और भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में उनके वैज्ञानिक योगदान की मान्यता की लड़ाई है।
अब यह मामला 24 दिसंबर, 2025 को पीठ के समक्ष आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने परमाणु चिकित्सा (Nuclear Medicine) प्रोफेशनल्स की परीक्षा मामले में हस्तक्षेप किया!
