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Gonda: गांव में लग रही चौपाल, मौके पर हो रहा समस्याओं का समाधान

जनहित को ध्यान में रखकर गोण्डा में हुई अनूठी पहल, शिकायतें अब फाइलों में नहीं, बल्कि गांव की चौपाल पर की जा रहीं हल, जिलाधिकारी से लेकर खंड विकास अधिकारी तक फील्ड में जाकर सुन रहे समस्याएं

Lucknow/Gonda: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप जनपद गोण्डा में जिला प्रशासन ने एक अनूठी पहल की है। इसके तहत, ग्रामीण समस्याओं के स्थलीय समाधान के लिए ग्राम चौपाल लगाई जा रही है। ग्राम चौपाल के माध्यम से डीएम नेहा शर्मा की अगुवाई में अधिकारी गांव पहुंचकर लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं और मौके पर ही इन समस्याओं का समाधान भी कर रहे हैं। “प्रशासन गांव की चौखट पर” के मूलमंत्र के साथ यह कार्यक्रम न सिर्फ सरकारी कार्यशैली में नया अध्याय जोड़ रहा है, बल्कि प्रशासन और जनता के बीच विश्वास की नई इबारत भी लिख रहा है।

अनुसंधान आधारित और डेटा संचालित अभियान

जिला प्रशासन गोण्डा द्वारा प्रारंभ की गई ग्राम चौपाल 3.0 या आईजीआरएस चौपाल, पहल एक अनुसंधान-आधारित, डेटा-संचालित और समाधानोन्मुख प्रयास है। इसकी शुरुआत आईजीआरएस पर प्राप्त शिकायतों के गहन विश्लेषण से हुई। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने उन गांवों की पहचान की जहां से बार-बार और सर्वाधिक शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। इस वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर ऐसे 40 ग्राम पंचायतों को चिन्हित किया गया जो प्रशासनिक दृष्टि से अधिक संवेदनशील और शिकायत बहुल मानी गईं।

इन 40 ग्राम पंचायतों को हाई प्रायोरिटी विलेजेस के रूप में चिह्नित करते हुए संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे ग्राम चौपाल 3.0 या आईजीआरएस चौपाल से पहले वहां जाकर शिकायतों का स्थलीय परीक्षण करें और अधिकतम मामलों का मौके पर ही निस्तारण सुनिश्चित करें। खास बात यह भी है कि शिकायतों के निस्तारण पर ही नहीं बल्कि जिलाधिकारी स्वयं निस्तारण की गुणवत्ता की नियमित समीक्षा भी कर रही हैं, ताकि समस्याओं का स्थायी एवं प्रभावी समाधान सुनिश्चित हो सके।

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ग्राम चौपाल में आए हुए ग्रामीण

3 जून से हुई शुरुआत

गोण्डा की जिलाधिकारी नेहा शर्मा के नेतृत्व में ग्राम चौपाल 3.0 की शुरुआत 3 जून से हुई है। इस दौरान आईजीआरएस, समाधान दिवस, जनता दर्शन जैसे माध्यमों से प्राप्त बार-बार की शिकायतों को प्राथमिकता में लेते हुए चिन्हित गांवों में अफसरों की पूरी टीम के साथ समाधान शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। शुरुआत के दिन पथवलिया, पिपरा पदुम, उमरा, पुरैनिया और दत्तनगर विशेन जैसे गांवों में डीएम खुद पहुंचीं। बिजली, सड़क, शौचालय, नाली, आवास, राशन और विरासत जैसे मुद्दों पर ग्रामीणों से संवाद किया गया और अधिकारियों को मौके पर ही निर्देश देकर समाधान सुनिश्चित कराया गया।

मौके पर ही मिल रहा समाधान

ग्राम चौपाल के दौरान ग्रामीणों की समस्याओं को सुनकर तुरंत उसका समाधान किया गया। उदाहरण के तौर पर उमरा में सरकारी भूमि पर बने अवैध शौचालय हटवाने के आदेश दिए गए। पुरैनिया में वर्षों पुराना नाली विवाद सुलझाया गया। इसी तरह, बिजली की समस्या पर सख्त लहजे में विभाग को चेतावनी दी गई।

गुणवत्ता, जवाबदेही और जन सहभागिता

जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने बताया कि ग्राम चौपाल का उद्देश्य केवल शिकायत दर्ज करना नहीं, बल्कि उसके गुणवत्तापूर्ण और स्थायी समाधान को सुनिश्चित करना है। मेरे साथ ही जिले के अन्य अधिकारी स्वयं चौपालों में जाकर यह देख रहे हैं कि समाधान दीर्घकालिक और प्रभावी हैं या नहीं। साथ ही, हर चौपाल से पहले केस-टू-केस समीक्षा अनिवार्य कर दी गई है।

साथ ही, पात्र लोगों को योजनाओं से जोड़ा जा रहा है।नोडल अधिकारियों को निरीक्षण और रिपोर्टिंग का अधिकार सौंपा गया है। लापरवाही की स्थिति में सीधी जवाबदेही और अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। डीएम ने स्पष्ट कहा कि चौपालों में सभी अधिकारियों की उपस्थिति, सक्रियता और समाधान-प्रधान कार्यशैली अनिवार्य है।

ग्राम चौपाल 3.0 क्यों है खास?

  • जन-जन तक शासन की पहुंच
  • फील्ड में समाधान, कागजों में नहीं
  • शासन-प्रशासन की जवाबदेही तय
  • सक्रिय जन सहभागिता से पारदर्शिता
  • हर शिकायत की केस-टू-केस समीक्षा

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