किडनी डिजीज का मुकाबला संतुलित और संयमित जीवन से संभव: सीएम योगी

सीएम योगी ने बताया कि गोरखपुर को इंसेफेलाइटिस से कैसे बचाया

Lucknow सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा कि क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) का मुकाबला संतुलित और संयमित जीवन से कर सकते हैं। छोटे बच्चे भी क्रोनिक किडनी डिजीज की चपेट में हैं, जिनको बचाने के लिए व्यापक रणनीति बनाने की सलाह मुख्यमंत्री ने दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने दो साल में उत्तर प्रदेश में इंसेफ्लाइटिस (Encephalitis) बीमारी के खत्म करके एक उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया है।

एसजीपीजीआई (SGPGI) में इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी (Indian Society of Nephrology) के 54वें वार्षिक अधिवेशन में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एसजीपीजीआई अपनी स्थापना के समय से ही मानवता की सेवा कर रहा है। उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती सरकारों में प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र उपेक्षित था। अस्पतालों को धन की कमी से जूझना पड़ता था। हॉस्पिटल गंदगी और अव्यवस्था का पर्याय बन गए थे। 2017 के बाद हमने एसजीपीजीआई समेत प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल को धन की कमी नहीं होने दी है। प्रदेश में 1947 से लेकर 2017 तक केवल 17 मेडिकल कॉलेज थे लेकिन अब प्रदेश में 80 मेडिकल 25 करोड़ नागरिकों की सेवा कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि गोरखपुर में भी इंसेफेलाइटिस दशकों तक एक भयावह समस्या रही। हर साल जुलाई से नवंबर के बीच बड़ी संख्या में बच्चे इसकी चपेट में आते थे और सैकड़ों जानें चली जाती थीं। बीते चार दशकों में इस बीमारी ने 50 हजार से अधिक बच्चों की जिंदगी छीन ली। उन्होंने इंसेफेलाइटिस के मुद्दे को बार-बार संसद में उठाया। इसके खिलाफ जन आंदोलन भी चलाया।

मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने लंबे अनुभव के आधार पर उन्होंने इस बीमारी से निपटने के लिए राज्य सरकार के 12 विभागों को एक साझा मंच पर लाकर विशेष अभियान शुरू किया। इसमें स्वास्थ्य विभाग को नोडल विभाग की जिम्मेदारी दी गई। बताया कि अभियान की प्रगति की हर पन्द्रह दिन में समीक्षा की जाती थी, ताकि किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो। इस अभियान में केंद्र सरकार के साथ ही यूनिसेफ (UNICEF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का भी सहयोग लिया गया।

बीमार कैसे न पड़ें इस पर चर्चा करें

इस अवसर पर डिप्टी सीएम (Deputy CM) बृजेश पाठक ने कहा कि आज ऐसी वर्कशॉप हो रही हैं जिसमें डाक्टर बताते हैं कि बीमार होने पर क्या करें। इसके साथ ही ऐसी कॉन्फ्रेंस होनी चाहिए जिसमें चर्चा हो कि बीमार न पडऩे के लिए क्या करें। उन्होंने चिकित्सकों को सलाह दी कि हर वर्कशॉप में एक सत्र ऐसा जरूर रखें जिसमें बीमारी से बचने के तरीकों पर चर्चा की जाए। डिप्टी सीएम ने कहा कि आज किडनी व हार्ट की बीमारियां बढ़ रही हैं। लोगों का मानना है कि कोरोना के बाद यह रोग बढ़ें है मगर इसका दूसरा कारण भी है। उन्होंने बताया कि आज लोगों की दिनचर्या ऐसी है जो उन्हें बीमारियों के करीब ला रही है। उन्होंने सलाह दी कि रोजना 45 मिनट पैदल चलें। पसीना बहाएं। ऐसा करने से व्यक्ति खुद को कई बीमारियों से बचा सकता है। शरीर को प्रकृति के अनुरूप रखे। आधुनिक पद्धति से दूर रहें। पाठक ने कहा कि शरीर एक गाड़ी की तरह है जिसे न चलाने पर शरीर के अंग बीमार हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति को रोजाना करीब 1700 कैलोरी की जरूरत होती है मगर वह 4000 से भी अधिक कैलोरी ले रहा है जिससे बीमारियां आ रही हैं।

चार दिन किडनी रोग के इलाज पर चर्चा

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के 54वें वार्षिक अधिवेशन का गुरुवार को भव्य शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान 18-21 दिसंबर तक चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला आईएसएनकॉन-2025 में किडनी रोगों के आधुनिक उपचार, अनुसंधान और तकनीकी नवाचारों पर व्यापक विमर्श किया जा रहा है। इस अवसर पर स्वास्थ्य राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह तथा एसजीपीजीआई के निदेशक प्रोफेसर राधाकृष्ण धीमन भी मंच पर उपस्थित रहे। कार्यशाला के आयोजक सचिव प्रोफेसर नारायण प्रसाद ने बताया कि इस कार्यशाला में यूरोप, अमेरिका, नेपाल, बांग्लादेश, से भी विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं।

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