लिवर ट्रांसप्लांट के लिए अब नहीं काटने पड़ेंगे दिल्ली-मुंबई के चक्कर, अपोलो लखनऊ ने कानपुर में शुरू की विशेष OPD

कानपुर: उत्तर प्रदेश की मेडिकल सुविधाओं में एक नया अध्याय जोड़ते हुए, लखनऊ स्थित अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल (Apollomedics Super Specialty Hospital) ने कानपुर में अपनी सेवाएं विस्तार देने की घोषणा की है। अब लिवर की गंभीर बीमारियों और लिवर ट्रांसप्लांट (Liver Transplant) के परामर्श के लिए कानपुर के मरीजों को दूसरे शहरों या राज्यों में भटकना नहीं पड़ेगा।

अपोलो हॉस्पिटल ने स्वरूप नगर स्थित ‘द गैस्ट्रो लिवर हॉस्पिटल’ (The Gastro Liver Hospital) के साथ मिलकर एक विशेष ओपीडी (OPD) की शुरुआत की है। इस पहल से मरीजों को अपने शहर में ही विश्वस्तरीय चिकित्सा परामर्श मिल सकेगा।

कब और कहाँ मिलेंगे डॉ. अभिषेक यादव?

इस विशेष ओपीडी का नेतृत्व अपोलो हॉस्पिटल लखनऊ के लिवर ट्रांसप्लांट एवं एचपीबी सर्जरी विभाग के सीनियर डायरेक्टर और एचओडी, डॉ. अभिषेक यादव (Dr Abhishek Yadav) करेंगे।

यूपी में लिवर की बीमारियों का बढ़ता खतरा: चौंकाने वाले आंकड़े

भारत में हर साल 2.5 से 3 लाख लोग लीवर की बीमारियों और लीवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis) के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। लीवर रोग अब भारत में मृत्यु का 8वां सबसे आम कारण बन चुका है, जबकि 10 साल पहले यह 10वें स्थान पर था। भारत में सालाना केवल 2500–3000 लीवर ट्रांसप्लांट ही होते हैं, जो कि वास्तविक ज़रूरत का केवल 1–2 फीसदी ही है।

फैटी लीवर डिजीज (Fatty Liver Disease) तेजी से बढ़ रही है और भारत की 30-35 फीसदी आबादी इससे प्रभावित है, कुछ क्षेत्रों में यह संख्या 50 फीसदी तक पहुँच चुकी है। उत्तर प्रदेश की आबादी जो कि भारत की लगभग 17 फीसदी आबादी का हिस्सा है, में करीब 50,000-60,000 लोग हर साल लीवर रोगों के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं, लेकिन केवल 200-250 लीवर ट्रांसप्लांट ही सालाना हो पाते हैं और ये ज्यादातर एनसीआर क्षेत्र में होते हैं।

डॉ. अभिषेक यादव (Dr Abhishek Yadav) ने बताया कि उत्‍तर प्रदेश में केवल चार लीवर ट्रांसप्लांट सेंटर हैं, जबकि तमिलनाडु में 42, महाराष्ट्र में 36, दिल्ली एनसीआर में 35, कर्नाटक में 25 और केरल में 19 सेंटर हैं। ऐसे में ज्यादातर मरीजों को अन्य राज्यों का रुख करना पड़ता है, जिससे इलाज की लागत बढ़ जाती है और पोस्ट-ट्रांसप्लांट फॉलो-अप कठिन हो जाता है।

डॉ. अभिषेक यादव (Dr Abhishek Yadav) ने अपोलो हॉस्पिटल लखनऊ में हम वयस्कों के साथ साथ बच्चों व नवजात बच्‍चों के लिवर ट्रांसप्लांट भी कर रहे हैं। अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल व द गैस्ट्रो लीवर हॉस्पिटल का यह कदम कानपुर और आसपास के क्षेत्रों में उन्नत लिवर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को और सुदृढ़ करेगा और मरीजों को अपने शहर में विश्वस्तरीय देखभाल प्रदान करेगा।

95-97% है सफलता दर: डॉ. वी.के. मिश्रा

द गैस्ट्रो लीवर हॉस्पिटल के चेयरमैन और वरिष्ठ गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. वी.के. मिश्रा ने मीडिया से बात करते हुए बताया, “चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति के कारण अब लीवर ट्रांसप्लांट की सफलता दर 95% से 97% तक हो गयी है जो यह साबित करती है कि यह सर्जरी पूरी तरह सुरक्षित और कारगर है।सही समय पर निर्णय लेने और आधुनिक तकनीक के उपयोग से लीवर फेलियर के मरीजों को नया जीवन मिल रहा है। इस OPD का उद्देश्य कानपुर के लोगों को उनके शहर में ही उच्च स्तरीय लिवर केयर परामर्श उपलब्ध कराना है। इस पहल के तहत कानपुर में अपोलो लिवर क्लिनिक से मरीजों को विशेषज्ञ देखभाल और आधुनिक तकनीक का लाभ सीधे मिल सकेगा।”

कनेक्टिविटी से आसान होगी राह: डॉ. मयंक सोमानी

अपोलोमेडिक्स के एमडी और सीईओ, डॉ. मयंक सोमानी ने कहा कि लखनऊ और कानपुर के बीच बन रहे एक्सप्रेसवे (Expressway) और बेहतर कनेक्टिविटी के महत्व पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा, “लखनऊ और कानपुर के बीच कनेक्टिविटी सुधरने से मरीजों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। अब एडवांस लीवर केयर (Advanced Liver Care) के लिए मरीजों को लंबी दूरी तय करके दिल्ली या मुंबई भागने की जरूरत नहीं है।”

एक्सप्रेसवे के शुरू होने से, कानपुर के मरीज महज 45 मिनट में लखनऊ पहुंच सकते हैं यह न केवल आपातकालीन स्थितियों में जीवन रक्षक साबित होगा, बल्कि ऑपरेशन या ट्रांसप्लांट के बाद होने वाले फॉलो-अप (Follow-up) के लिए भी बेहद सुविधाजनक होगा, जिससे मरीजों का समय और पैसा दोनों बचेगा। लखनऊ अब यूपी और आसपास के राज्यों के लिए तेजी से उभरता हुआ मेडिकल हब बन रहा है। अपोलो हॉस्पिटल का यह प्रयास मरीजों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक कदम है। कानपुर में हमारे विशेषज्ञों की उपस्थिति स्थानीय लोगों के लिए बड़ी राहत और सुविधा साबित होगी।

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