सर्पदंश के मामलों में कम की जा सकती है विकलांगता
समय पर इलाज के साथ सीपीआर भी जरूरी प्रो. हैदर अब्बास

Lucknow: विश्वभर में हर साल करीब 5 करोड़ लोग सर्पदंश (Snakebite) का शिकार होते हैं, जिनमें से लगभग 1 लाख की मौत हो जाती है और 4 लाख लोग स्थायी विकलांगता (Disability) का सामना करते हैं। समय पर इलाज से सर्पदंश के मामलों में मृत्यु और विकलांगता को कम किया जा सकता है।
यह कहना है, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. हैदर अब्बास (Dr. Haider Abbas) का। वह विश्व इमरजेंसी दिवस के अवसर पर शताब्दी भवन में आयोजित एक जागरूकता कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी मेडिसिन केवल एक विभाग नहीं, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य तंत्र की रीढ़ की हड्डी है। यह चिकित्सा की वह विशेषता है जो जीवन और मृत्यु के बीच के क्षणों में निर्णायक भूमिका निभाती है।
उन्होंने समय पर इलाज के साथ सीपीआर Cardio Pulmonary Resuscitation) को भी जरूरी बताते हुए कहा कि कई बार सडक़ दुर्घटना (Road accident) या अन्य हादसों में सांस रुकने वाले मरीजों को सीपीआर देने से भी जान बच जाती है। उन्होंने बताया कि जागरूकता की कमी के कारण कई मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता, जिससे उनकी जान चली जाती है।
सोसाइटी ऑफ एक्यूट केयर ट्रॉमा एंड इमरजेंसी मेडिसिन के डॉ. लोकेंद्र गुप्ता ने बताया कि भारत में हर साल लगभग 4.6 लाख सडक़ दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें 1.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। इनमें से कई मौतें समय पर इलाज न मिलने के कारण होती हैं। गोल्डन ऑवर (दुर्घटना के बाद का महत्वपूर्ण पहला घंटा) में इलाज मिलने से 40 फीसदी मौतें रोकी जा सकती हैं।
इस मौके पर इमरजेंसी मेडिसिन क्विज प्रतियोगिता (Quiz competition) भी कराई गई, जिसमें हिमांशु मित्तल ने पहला स्थान प्राप्त किया। इसके अलावा सर्पदंश जनजागरुकता के लिए एक नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किया गया। जिसका निर्देशन डा. मुकेश कुमार ने किया। इस नाटक में विवेक कुमार, संध्या देवी, पुष्पा कुमारी, नेहा मिश्रा, हिमांशु मित्तल, प्रीती, निधि बेन पटेल, विकास मिश्रा और प्रियंका सिंह ने अभिनय किया।