World Asthma Day 2025: अस्थमा को हराना है तो इनहेलर को अपनाना है: डाॅ. वेद प्रकाश

Lucknow: विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग द्वारा आयोजित एक जागरूकता कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने अस्थमा रोग के नियंत्रण और प्रभावी उपचार पर विस्तृत चर्चा की। इस वर्ष का संदेश है — “इनहेलेशन उपचार सभी के लिए सुलभ बनाएं”।
प्रो. (डॉ.) वेद प्रकाश ने कहा, “इनहेलेशन उपचार तक पहुँच सभी अस्थमा रोगियों की आवश्यकता है। आइये हम सभी मिलकर प्रत्येक अस्थमा रोगी को खुलकर साँस लेने में मदद करें।” उन्होंने अस्थमा को हराने के लिए इन्हेलर के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “दमा को अगर हराना है, साँसों को बचाना है, तो इन्हेलर अपनाना है।”
अस्थमा से हर साल 4.55 लाख मौतें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2024 में दुनियाभर में करीब 26.2 करोड़ लोग अस्थमा से ग्रसित थे और हर साल लगभग 4.55 लाख मौतें अस्थमा के कारण होती हैं। भारत में यह स्थिति और भी चिंताजनक है। भारत में 3.4 करोड़ से अधिक लोग अस्थमा से पीड़ित हैं और वैश्विक अस्थमा मौतों का 46% हिस्सा भारत से है।
डॉक्टर्स ने बताया कि खराब वायु गुणवत्ता, जागरूकता की कमी, अल्प-निदान, और महंगी दवाओं तक सीमित पहुंच इस समस्या को और बढ़ाती है। एक रिसर्च के अनुसार, भारत में केवल 5% अस्थमा मरीजों को ही सही इलाज की सुविधा उपलब्ध हो पाती है।
अस्थमा के प्रमुख लक्षण
साँस लेने में कठिनाई, बलगम वाली या सूखी खांसी, साँस लेते समय सीटी की सी आवाज, छाती में भारीपन या जकड़न, थकान, व्यायाम करते समय साँस फूलना आदि |
अस्थमा को बढ़ाने वाले कारण
एलर्जेन, संक्रमण, वायु प्रदूषण, ठंडी हवा, एक्सरसाइज की कमी और मानसिक तनाव अस्थमा को बढ़ा सकते हैं।
Global Initiative for Asthma (GINA) द्वारा तय की गई इस वर्ष की थीम — “Make Inhaled Treatments Accessible for All” — का उद्देश्य इनहेलेड कॉर्टिको-स्टेरॉयड्स (ICS) जैसी प्रभावी दवाओं को सभी के लिए सुलभ बनाना है। भारत में, इन दवाओं को आवश्यक औषधि सूची में शामिल किया गया है, परंतु जागरूकता की कमी और वितरण की बाधाएं इनका उपयोग सीमित कर रही हैं।
इलाज और प्रबंधन की रणनीतियाँ
- कंट्रोलर दवाएँ: नियमित ICS से वायुमार्ग की सूजन नियंत्रित।
- रिलीवर दवाएँ: लक्षणों से त्वरित राहत के लिए।
- ट्रिगर से बचाव: व्यक्तिगत ट्रिगर की पहचान कर परहेज़।
- वैयक्तिकृत योजना: हर रोगी के लिए अलग रणनीति।
- रोगी शिक्षा और फॉलो-अप: नियमित निगरानी और मार्गदर्शन।
आगे की राह
विशेषज्ञों ने सुझाया कि इनहेलेशन उपचार की सुलभता के लिए निम्न प्रयास आवश्यक हैं:
- सस्ती और असरदार इनहेलर विकसित करना।
- ग्रामीण एवं वंचित इलाकों में जागरूकता बढ़ाना।
- डिजिटल स्वास्थ्य तकनीकों का इस्तेमाल।
- वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु नीति-निर्माण।
- बायोलॉजिक थेरेपी और आनुवंशिक शोध को बढ़ावा देना।
KGMU की भूमिका
KGMU का पल्मोनरी विभाग अस्थमा और एलर्जी रोगियों के लिए उच्च स्तरीय सेवाएं दे रहा है, जिसमें परिष्कृत पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट, स्किन प्रिक टेस्ट, बायोलॉजिक थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी शामिल हैं।
इस अवसर पर प्रो. वेद प्रकाश के साथ प्रो. राजेन्द्र प्रसाद (एराज लखनऊ), प्रो. आर.ए.एस. कुशवाहा, प्रो. राजेश कुमार, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. मोहम्मद आरिफ, डॉ. मृत्युंजय समेत कई वरिष्ठ विशेषज्ञ उपस्थित रहे।